बलात्कार पीड़िताओं की टू-फिंगर जांच के पक्ष में नहीं है पाकिस्तान की सरकार

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सरकार ने कहा है कि वह बलात्कार की पुष्टि के लिए पीड़ितों पर की जाने वाली टू-फिंगर जांच (टीएफटी) के पक्ष में नहीं है तथा उसका सुझाव है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में इसे चिकित्सा-कानूनी परीक्षण रिपोर्ट का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। डॉन न्यूज की खबर के मुताबिक कानून एवं न्याय मंत्रालय की ओर से लाहौर में अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल चौधरी इश्तियाक अहमद खान को सरकार की इस सिफारिश के बाबत जानकारी दी गई है। अब खान संघीय सरकार के इस रुख के बारे में लाहौर उच्च न्यायालय को अवगत करवाएंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि टीएफटी ‘‘अवैज्ञानिक, चिकित्सीय रूप से गैर जरूरी तथा भरोसे लायक नहीं’’ है। इस वक्तव्य की पृष्ठभूमि में अदालत ने कानून मंत्रालय से जवाब मांगा था। खबर के मुताबिक अदालत में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें टीएफटी को चुनौती दी गई है। इनमें कहा गया है कि टीएफटी ‘‘अपमानजनक, अमानवीय है तथा यह महिला के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन करने वाली है।’’

इससे पहले, पिछले महीने हुई सुनवाई में स्वास्थ्य संबंधी अन्य विभागों ने भी इस जांच को मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट के प्रोटोकॉल से हटाने का सलाह दी थी। इस मामले पर लाहौर उच्च न्यायालय अगले महीने के पहले हफ्ते में सुनवाई शुरू करेगा।

First Published on: October 10, 2020 3:24 PM
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