कतर में बैठक के बाद अफगानिस्तान में दशकों के संघर्ष के बाद आएगी शांति

दुबई। अफगानिस्तान के विरोधी खेमों ने दशकों के संघर्ष को समाप्त करने के उद्देश्य से पहली बार वार्ता शुरू की है जिसमें अफगान सरकार तथा तालिबान द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। कतर में वार्ता के उद्घाटन समारोह में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भाग लिया। वार्ता से संबंधित बैठकें कतर में ही होंगी। यह बातचीत नवंबर में अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप प्रशासन द्वारा संचालित अनेक कूटनीतिक गतिविधियों में से एक है।

दीर्घकालिक शांति के मकसद से यह वार्ता महत्वपूर्ण है जिससे अमेरिका और नाटो सैनिकों की करीब 19 साल के बाद अफगानिस्तान से वापसी का रास्ता साफ होगा। वार्ता से पहले दो खाड़ी देशों- बहरीन ने शुक्रवार को तथा संयुक्त अरब अमीरात ने इस महीने की शुरुआत में अमेरिका की मध्यस्थता में इजराइल को मान्यता दी। वार्ता में दोनों पक्ष कठिन मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करेंगे। इनमें स्थायी संघर्ष विराम की शर्तें, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकार तथा दसियों हजार तालिबान लड़ाकों का निरस्त्रीकरण शामिल है। दोनों पक्ष संवैधानिक संशोधनों और सत्ता बंटवारे पर भी बातचीत कर सकते हैं।

देश के नाम और झंडे को लेकर भी चर्चा हो सकती है। देश का नाम इस्लामी अफगानिस्तान गणराज्य रहेगा या इस्लामी अफगानिस्तान अमीरात, जिस नाम से इसे तालिबान के शासन के समय जाना जाता था। इस पर बातचीत हो सकती है। सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकारों में चार महिलाएं भी शामिल हैं जिन्होंने कट्टरपंथी तालिबान के साथ किसी भी सत्ता साझेदारी के समझौते में महिलाओं के अधिकार सुरक्षित रखने का संकल्प लिया है। इनमें कार्य, शिक्षा तथा राजनीतिक जीवन में सहभागिता के अधिकार शामिल हैं। अमेरिका नीत गठबंधन बल ने 2001 में तालिबान को अपदस्थ किया था। 11 सितंबर के भयावह हमलों के साजिशकर्ता ओसामा बिन-लादेन को शरण देने के कारण यह कार्रवाई की गयी थी।

First Published on: September 12, 2020 3:31 PM
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