
कोनाक्री । पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में बागी सैनिकों ने रविवार को राष्ट्रपति भवन के पास भारी गोलीबारी के कुछ घंटों बाद राष्ट्रपति अल्फा कोंडे को हिरासत में ले लिया। जिस घटना के बाद उन्होंने सरकारी टेलीविजन पर सरकार को भंग करने की घोषणा की।
सेना के कर्नल ममादी डोंबोया ने सरकारी टेलीविजन के जरिए घोषणा की कि देश की सीमाओं को बंद कर दिया गया है और इसके संविधान को अवैध घोषित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘देश को बचाना सैनिक का कर्तव्य है। हम अब राजनीति एक आदमी को नहीं सौंपेंगे, हम इसे लोगों को सौंपेंगे।’’
वहीं गिनी में हुई इस हिंसक घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने ट्वीट कर कहा कि, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से गिनी की स्थिति पर बहुत बारीकी से नजर रख रहा हूं। मैं बंदूक के बल पर सरकार के किसी भी अधिग्रहण की कड़ी निंदा करता हूं और राष्ट्रपति अल्फा कोंडे की तत्काल रिहाई का आह्वान करता हूं।’
I am personally following the situation in Guinea very closely. I strongly condemn any takeover of the government by force of the gun and call for the immediate release of President Alpha Conde.
— António Guterres (@antonioguterres) September 5, 2021
साथ ही अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी कि हिंसा को अंजाम न दिया जाए और गिनी के अधिकारियों से कहा कि संविधान से इतर उनकी गतिविधियों से गिनी के लिए शांति, स्थिरता एवं समृद्धि की संभावनाएं खत्म होंगी।
मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने एक वक्तव्य में कहा कि जुंटा की हरकतों से अमेरिका और गिनी के अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों की उसे समर्थन देने की क्षमता सीमित हो जाएगी।
फिलहाल अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सेना के भीतर डोंबोया को कितना समर्थन हासिल है या फिर बीते एक दशक से भी अधिक समय से राष्ट्रपति के वफादार रहे अन्य सैनिक नियंत्रण अपने हाथों में लेने का प्रयास करेंगे या नहीं।
गिनी की सेना ‘जुंटा’ ने सोमवार को एक कार्यक्रम में घोषणा की कि गिनी के सभी गवर्नर की जगह स्थानीय कमांडर लेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी तरह का इनकार देश के नए सैन्य नेताओं के खिलाफ विद्रोह माना जाएगा।
भीषण लड़ाई के बाद रविवार को कई घंटों तक 83 वर्षीय कोंडे का कुछ पता नहीं चला। फिर एक वीडियो सामने आया, जिसमें वह सेना की हिरासत में दिख रहे हैं। बाद में जुंटा ने एक बयान जारी करके कहा कि कोंडे अपने चिकित्सकों से संपर्क में हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि उन्हें कब छोड़ा जाएगा।
बीते एक दशक से भी अधिक समय से सत्ता में काबिज कोंडे के तीसरे कार्यकाल की पिछले कुछ समय से काफी आलोचना हो रही थी। वहीं, कोंडे का कहना था कि उनके मामले में संवैधानिक अवधि की सीमाएं लागू नहीं होतीं। रविवार के घटनाक्रम से पता चलता है कि सेना के भीतर भी किस हद तक असंतोष पनप गया था।
सेना की विशेष बल इकाई के कमांडर डोंबोया ने अन्य सैनिकों से ‘‘स्वयं को जनता के पक्ष में रखने’’ का आह्वान किया। देश को 1958 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद आर्थिक प्रगति के अभाव का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमें जागना होगा।’’
कोंडे वर्ष 2010 में सबसे पहले राष्ट्रपति चुने गए थे जो 1958 में फ्रांस से आजादी मिलने के बाद देश में पहला लोकतांत्रिक चुनाव था। कई लोगों ने उनके राष्ट्रपति बनने को देश के लिए एक नयी शुरुआत के तौर पर देखा था, लेकिन बाद में उनके शासन पर भ्रष्टाचार, निरंकुशता के आरोप लगे।