
वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अपने ऑस्ट्रेलियाई और जापानी समक्षकों के साथ क्वाड नेताओं के पहले व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन में शामिल हुए जिसकी मेजबानी यहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने की।
इस दौरान मोदी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि चार देशों का यह समूह दुनिया की भलाई करने वाली शक्ति की तरह कार्य करेगा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र के साथ ही पूरे विश्व में शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करेगा।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने की रणनीति के तहत नवंबर 2017 में क्वाड का गठन किया गया था जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
राष्ट्रपति जो बाइडन के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा पहले प्रत्यक्ष क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में एकत्र हुए हैं।
अपने शुरुआती संबोधन में जो बाइडन ने कहा कि कोविड से लेकर जलवायु संबंधी साझा चुनौतियों से निपटने के लिए दुनिया के चार लोकतंत्र एक-साथ आए हैं। बाइडन ने कहा, ‘‘इस समूह में लोकतांत्रिक साझेदार हैं जो वैश्विक विचार साझा करते हैं और भविष्य के लिए समान दृष्टिकोण रखते हैं।’’
अपने संक्षिप्त संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि हमारे सहयोग से दुनिया और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति स्थापित होगी और समृद्धि आएगी। मेरा पूरा विश्वास है कि हमारा क्वाड गठबंधन दुनिया की बेहतरी के लिए एक ताकत के रूप में काम करेगा।’’
Speaking at the Quad leaders meeting. https://t.co/bQzenzUlQa
— Narendra Modi (@narendramodi) September 24, 2021
मोदी ने कहा, ‘‘ जापान में वर्ष 2004 में आयी सुनामी के उपरांत आज, जब दुनिया कोविड-19 के खिलाफ लड़ रही हैं, हम क्वाड गठबंधन के हिस्से के तौर पर एक बार फिर मानवता के लिए साथ आए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी क्वाड टीका पहल बृहद तौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों की मदद करेगी।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्वाड ने सदस्य देशों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपने मित्रों के साथ चर्चा करने में खुशी होगी- चाहे वह आपूर्ति श्रृंखला, वैश्विक सुरक्षा, जलवायु कार्रवाई, कोविड से निपटने या प्रौद्योगिकी सहयोग का मुद्दा हो।’’
मॉरिसन ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी धौंस-दबाव से मुक्त होना चाहिए और विवादों को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हल किया जाना चाहिए।