
संयुक्त राष्ट्र महासभा में सोमवार (24 फरवरी) को यूक्रेन से रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी का प्रस्ताव पास कर दिया गया। यूक्रेन के लिहाज से यह एक अच्छी खबर जरूर है लेकिन इस बार पास हुआ प्रस्ताव यूक्रेन को कम होते समर्थन को भी दर्शाता है।
दरअसल, इस प्रस्ताव को 93 देशों का समर्थन मिला, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया और 65 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। यानी करीब 83 देश तीन साल से युद्ध झेल रहे यूक्रेन के साथ खड़े नहीं हैं।
अमेरिका ने यह प्रस्ताव पेश किया था, जिसे यूरोपिय देशों द्वारा सुझाए गए कुछ संशोधनों के साथ पारित कर दिया गया। इस प्रस्ताव में युद्ध को पूरी तरह खत्म करने के लिए शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया गया है।
प्रस्ताव ऐसे दिन पेश किया गया, जब इस युद्ध को शुरू हुए पूरे तीन साल हो चुके हैं। दरअसल, रूस ने 24 फरवरी 2022 को ही यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया था। शुरुआत में तो रूस को तेजी से सफलता मिली लेकिन बाद में यूक्रेन ने उसे अच्छी टक्कर दी। यूक्रेन को इस युद्ध में अमेरिका और कई यूरोपिय देशों का सपोर्ट मिल रहा है। पिछले तीन साल में इस युद्ध में यूक्रेन ने अपना बड़ा इलाका गंवाया है हालांकि नुकसान रूस को भी बहुत हुआ है।
भारत ने अपनी गुटनिरपेक्षता की नीति के तहत, इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। भारत उन 65 देशों में शामिल रहा, जो इस मुद्दे पर वोटिंग के दौरान गैर मौजूद रहे। रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन सालों में भारत का रूख हमेशा ऐसा ही रहा है।
चीन उन 18 देशों में शामिल है, जो साफ तौर पर रूस के साथ खड़े हैं। चीन ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट किया। चीन के साथ ही अल्जीरिया, आर्मेनिया, बेलारूस, बोलिविया, बुरुंडी, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, क्यूबा, कांगो, गिनी, ईरान, माली, मार्शल आइलैंड, निकारागुआ, सुडान, सीरिया ने भी रूसी सैनिकों की यूक्रेन से वापसी के प्रस्ताव के खिलाफ अपना वोट दिया।