लीव (यूक्रेन)। यूक्रेन के मध्य, उत्तरी और दक्षिण हिस्से में स्थित शहरों में रूसी बलों ने गोलाबारी तेज कर दी है। यूक्रेन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
इस गोलाबारी से वहां फंसे नागरिकों को निकालने का दूसरा प्रयास भी विफल हो गया।
यूक्रेन के नेता ने अपने लोगों से लड़ने के लिए सड़कों पर उतरने का आग्रह किया है। वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि रूस के हमलों को ‘‘केवल तभी रोका जा सकता है, जब कीव शत्रुता समाप्त कर दे।’’
राष्ट्रपति के सलाहकार ओलेक्सी एरेस्टोविच ने बताया कि कीव के बाह्य इलाकों में, उत्तर में चेर्निहिव, दक्षिण में मायकोलाइव और देश के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में रविवार देर रात गोलाबारी की गई।
स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, खारकीव के रिहायशी इलाकों में तोपों से गोले दागे गए और गोलाबारी में एक टेलीविजन टॉवर भी क्षतिग्रस्त हो गया।
इन हमलों के बाद यूक्रेन के और लोगों को युद्ध की चपेट में आने से बचा पाने की उम्मीद कम हो गई है।
भोजन, पानी, दवा और लगभग सभी अन्य सामान की दक्षिणी बंदरगाह शहर मारियुपोल में भारी कमी है, जहां रूसी और यूक्रेनी सेना 11 घंटे के संघर्ष विराम के लिए सहमत हुई थी, ताकि नागरिकों और घायलों को निकाला जा सके। यूक्रेन के अधिकारियों का कहना है कि रूसी हमलों से मानवीय गलियारे बंद हो गए हैं।
गृह मंत्रालय के सलाहकार एंटोन ग्रेराश्नेको ने ‘टेलीग्राम’ पर कहा, ‘‘ कोई ‘ग्रीन कॉरिडोर’ नहीं हो सकता, क्योंकि केवल रूसियों का बीमार दिमाग ही यह तय करता है कि कब और किस पर गोलीबारी करनी है।’’
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने अपने लोगों से विद्रोहियों के खिलाफ लामबंद रहने का आग्रह किया है, खासकर उन शहरों में जहां रूस ने कब्जा कर लिया है।
जेलेंस्की ने शनिवार को टेलीविजन पर कहा, ‘‘ आप सड़कों पर उतर जाएं। आप युद्ध करें। यह आवश्यक है कि बाहर निकलकर इस शत्रु को हमारे नगरों से, हमारे देश से निकाला जाए।’’
जेलेंस्की ने अमेरिका और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) देशों से यूक्रेन में और अधिक युद्धक विमान भेजने का आग्रह किया। साथ ही, उन्होंने पश्चिमी देशों से रूस पर अपने प्रतिबंधों को कड़ा करने का आग्रह करते हुए कहा कि ‘‘आक्रामण करने वाले का दुस्साहस एक स्पष्ट संकेत है’’ कि मौजूदा प्रतिबंध पर्याप्त नहीं हैं।
यूक्रेन पर रूसी हमला शुरू हुए 12 दिन हो गए हैं और अभी तक 15 लाख लोगों ने देश छोड़ा है। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख ने इस पलायन को ‘‘यूरोप में सबसे तेजी से बढ़ता शरणार्थी संकट’’ करार दिया है।