अमेरिकी सरकार और विशेषज्ञों के लिए सिरदर्द बने सरकारी नेटर्वक में पैठ बनाए रूसी हैकर


विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी और निजी क्षेत्र की उन सभी प्रणालियों की विधिवत पहचान करने के लिए कुशल टीमों की कमी है जिनपर हैकिंग का शिकार होने का संदेह है।


मंज़ूर अहमद मंज़ूर अहमद
विदेश Updated On :

वाशिंगटन। इंटरनेट इजाद के बाद दुनिया के वाकई सैकड़ों काम पलक झपकते हो जा रहे हैं। इसकी मदद से दूरी का बंधन भी खत्म हो चुका है, लेकिन यह तकनीकि आम आदमी को जितनी ही सरल लग रही है अब उतनी ही खतरनाक होती जा रही है। इंटरनेस सेवा से जुड़े आंकड़ों की सुरक्षा के लिए दुनिया के कई देश इस पर बेतहाशा पैसा  खर्च कर रहे हैं, लेकिन फिर भी समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कुछ ऐसा ही हाल तकनीकि की दुनिया का महारथी कहे जाने वाले अमेरिका का हो गया है। अमेरिकी सरकार इन दिनों रूसी साइबर हमलों से इस कदर परेशान है कि वहां के विशेषज्ञों को भी समझ नहीं आ रहा है कि सरकारी सिस्टम में घुसपैठ बनाए हैकरों से कैसे निपटा जाएगा और इनका खात्म करने में कितना समय लगेगा।

खबरों के अनुसार अमेरिकी विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च में शुरू हुए साइबर हमले के बाद सरकारी नेटवर्क में गुपचुप तरीके से पैठ बनाने वाले हैकरों को बाहर निकालने में महीनों लग सकते है। उनका कहना है कि देश के सिस्टम में घुसपैठ बनाए रूसी हैकर हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी और निजी क्षेत्र की उन सभी प्रणालियों की विधिवत पहचान करने के लिए कुशल टीमों की कमी है जिनपर हैकिंग का शिकार होने का संदेह है।

अमेरिकी एजेंसियों में घुसपैठ का पता लगाने वाली साइबर सुरक्षा कंपनी ‘फायरआई’ पहले ही इस प्रकार दर्जनों घटनाओं के बारे में बता चुकी है और अन्य घटनाओं के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है।

प्रसिद्ध साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रूस श्नेयर ने कहा, ‘हमारे सामने गंभीर समस्या है। हमें नहीं पता कि वे (हैकर) किस नेटवर्क में और कितनी गहराई तक घुसपैठ किये हुए हैं। वे कहां तक पहुंच रखते हैं।’

साइबर सुरक्षा कंपनी ‘क्राउड स्ट्राइक’ के सह संस्थापक तथा पूर्व प्रमुख तकनीकी अधिकारी दिमित्री एल्परोविच ने कहा, ‘हम उन्हें निकाल फेंकेंगे। इसमें बहुत समय लगेगा।’

वहीं श्नेयर ने कहा, ‘उनका सफाया करना पहला चरण होगा। नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करने का केवल एक ही रास्ता है कि उसकी जड़ों में जाकर उसे फिर से खड़ा किया जाए।’

गौरतलब है कि बीते रविवार को अमेरिका के वित्त एवं वाणिज्य विभाग पर साइबर हमले की जानकारी सामने आई थी। अधिकारियों का कहना था कि लगभग एक महीने से ये साइबर हमला जारी था जिसका पता रविवार को लग सका।

आशंका जताई जा रही है कि ये साइबर हमला रूस ने किया है लेकिन रूस ने साफ़ इनकार किया है।



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