कोलंबो। आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की ‘नाकामी’ को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच श्रीलंकाई अधिकारियों ने बुधवार को राजधानी में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैनिकों और सैन्य वाहनों को सड़कों पर तैनात कर दिया।
श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने सेना, वायुसेना और नौसेना कर्मियों को सार्वजनिक संपत्तियों को लूटने या दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को गोली मारने का मंगलवार को आदेश दिया था।
‘न्यूज फर्स्ट’ अखबार की खबर के अनुसार, कोलंबो और उपनगरों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सेना के विशेष बलों को भी तैनात किया गया है।
राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने बुधवार को जनता से हिंसा को समाप्त करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों से पार पाने के लिए श्रीलंकाई नागरिकों को एकजुट होना चाहिए।
श्रीलंका के रक्षा महासचिव (सेवानिवृत्त) कमल गुणरत्ने ने मंगलवार को प्रदर्शनकारियों से शांत रहने और हिंसा नहीं करने का आग्रह किया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर लूटपाट और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाता है, तो रक्षा मंत्रालय इस तरह के कृत्यों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं पुरुषों और महिलाओं से हिंसा में शामिल होने से बचने की अपील करता हूं। सार्वजनिक और निजी संपत्तियों में आग न लगाएं और लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष में शामिल हों।’’
महिंदा राजपक्षे (76) ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके समर्थकों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के कुछ घंटे बाद अधिकारियों ने देशव्यापी कर्फ्यू लगाया था और राजधानी में सेना के जवानों को तैनात किया। इस हमले के बाद राजपक्षे समर्थक नेताओं के खिलाफ व्यापक हिंसा शुरू हो गई थी।
इन झड़पों में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई, जबकि 250 से अधिक लोग घायल हो गए।
राष्ट्रपति गोटबाया ने लोगों से नागरिकों के खिलाफ ‘‘हिंसा और बदले की कार्रवाई’’ को रोकने का आग्रह किया है और देश के समक्ष राजनीतिक और आर्थिक संकट को दूर करने संकल्प जताया है।
गौरतलब है कि 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका घोर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।