दक्षिण अफ्रीकी हिंदू महासभा का बयान : अंतिम संस्कार ‘पैसे का दिखावा करने का मौका बस’

जोहानिसबर्ग। दक्षिण अफ्रीकी हिंदू महासभा (एसएएचएमएस) ने कहा है कि अंतिम संस्कार मृत व्यक्ति को ‘‘संस्कार एवं अनुशासन’’ के साथ विदा करने के लिए होते हैं और उन्हें ‘‘पैसे का दिखावा करने के मौके’’ के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

एसएएचएमएस के अध्यक्ष अश्विन त्रिकमजी ने कहा, ‘‘हिंदू परम्परा के अनुसार अंतिम संस्कार दिखावा करने वाला समारोह नहीं होना चाहिए। यह संस्कार एवं अनुशासन के साथ दिवंगत आत्मा का आदर करने का मौका है। इस दौरान दिवंगत आत्मा के मोक्ष के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। सांस्कारिक वस्तुओं से मोह खत्म होने पर ही मुक्ति तभी संभव है।’’ उन्होंने कहा कि अंतिम संस्कार शवदाहगृह में बैगपाइप और बेंटले कारों के जरिए अब केवल ‘‘पैसे का दिखावा करने का’’ अवसर बन गए हैं और लोग ‘‘सफेद रंग के सूती कुर्ते के बजाए अंग्रेजी औपनिवेशिक शैली के सूट’’ पहन कर आते हैं।

त्रिकमजी ने बताया कि एसएएचएमएस को इस प्रकार के अंतिम संस्कार के बारे में समुदाय के सदस्यों से शिकायतें मिली हैं। एक शिकायतकर्ता ने कहा कि शवदाहगृह ‘‘और धन कमाने के लिए’’ बैगपाइप और रेड कार्पेट के साथ ‘‘दिखावा करने और शोर मचाने का स्थान’’ बन गए हैं। त्रिकमजी ने कहा, ‘‘विवाह समारोहों की तरह अंतिम संस्कार भी हिंदू अभिजात वर्ग के कुछ लोगों के लिए पैसे का दिखावा करने का मौका बन गए है। कई बार तो ऐसा होता है कि मृतक जब जीवित था, तब उसे कभी इस प्रकार की विलासिता नहीं दी गई।’’

First Published on: October 1, 2020 12:18 PM
Exit mobile version