चीन के साथ सीमा पर संकट के दौरान भारत को अमेरिका ने दी थी कुछ सूचना, गर्म कपड़े और उपकरण


चीन ने पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील जैसे विवादित इलाकों में 60,000 से अधिक सैनिक तैनात कर दिये थे। इस पर, भारत ने भी अपनी सेनाएं तैनात की और इस वजह से आठ महीने तक गतिरोध बना रहा।


भाषा भाषा
विदेश Updated On :

वाशिंगटन। चीन के साथ सीमा पर हालिया संकट के दौरान भारत की मदद करते हुए अमेरिका ने कुछ सूचना, बर्फीली ठंड से बचाने वाली पोशाक और कुछ अन्य उपकरण मुहैया किये थे। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के एक शीर्ष कमांडर ने अमेरिका के सांसदों को यह जानकारी दी।

अमेरिका के हिंद-प्रशांत कमान के कमांडर एडमिरल फिलिप्स डेविडसन ने मंगलवार को अमेरिकी संसद के उच्च सदन सीनेट की शक्तिशाली शस्त्र सेवाएं समिति से यह भी कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की हालिया गतिविधियों ने भारत को यह सोचने के लिए भी प्रेरित किया कि उसकी अपनी रक्षात्मक जरूरतों के लिए अन्य देशों के साथ क्या सहयोगी कोशिशें की जा सकती हैं। उनका मानना है कि भारत इस संदर्भ में ‘क्वाड’ में अपनी भूमिका मजबूत करेगा।

एडमिरल डेविडसन ने संसदीय सुनवाई के दौरान सांसदों से कहा, ‘‘भारत की नीति लंबे समय से रणनीतिक स्वायत्ता की रही है और जैसा कि आप जानते हैं कि वह गुटनिरपेक्षता की नीति का पक्षधर रहा है, लेकिन मुझे लगता है कि एलएसी पर हुई गतिविधियों ने निश्चित तौर पर उन्हें (भारत को) इस विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित किया कि उसकी अपनी रक्षात्मक जरूरतों के लिए दूसरे माध्यम से क्या सहयोगी कोशिश की जा सकती है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उस संकट के दौरान भरत को कुछ सूचना, बर्फीले मौसम से बचाने वाली पोशाक , कुछ अन्य उपकरण, इस तरह की कुछ अन्य चीजें मुहैया की। साथ ही, पिछले कई वर्षों से हम अपने समुद्री सहयोग को प्रगाढ़ कर रहे हैं।’’

चीन ने पिछले साल मई में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील जैसे विवादित इलाकों में 60,000 से अधिक सैनिक तैनात कर दिये थे। इस पर, भारत ने भी अपनी सेनाएं तैनात की और इस वजह से आठ महीने तक गतिरोध बना रहा।

कई दौर की लंबी वार्ता के बाद दोनों देशों ने पिछले महीने पैंगोंग झील इलाके से अपने सैनिकों को पीछे हटाया, जबकि पूर्वी लद्दाख में शेष इलाकों से सैनिकों को हटाने को लेकर वार्ता जारी है।

डेविडसन ने कहा, ‘‘ भारत गुटनिरपेक्षता के अपने रुख के प्रति प्रतिबद्ध बना रहेगा, लेकिन मुझे यह भी लगता है कि वे क्वाड के साथ अपने संबंध को गहरा करेंगे और मुझे लगता है कि यह हमारे लिए, आस्ट्रेलिया और जापान के लिए एक अहम रणनीतिक अवसर है।’’

उन्होंने क्वाड नेताओं के प्रथम शिखर सम्मेलन से पहले यह कहा। इस सम्मेलन में आस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के शीर्ष नेता शामिल होंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशीहीदे सुगा के साथ शुक्रवार को इसमें डिजिटल माध्यम से शामिल होंगे।

एडमिरल से अपने एक सवाल के जवाब पर सीनेटर अंगस किंग ने कहा, ‘‘यदि भारत इन देशों के साथ करीबी तौर पर जुड़ता है तो यह एक बड़ा भू-राजनीतिक घटनाक्रम होगा। ’’

किंग ने कहा, ‘‘भारत हमेशा से एक तटस्थ देश रहा है। क्या हम उनके साथ मजबूत गठजोड़ बना रहे हैं? आपने क्वाड का हिस्सा के तौर पर उसका उल्लेख किया है। क्या वे खुद को इस तरह के किसी गठजोड़ का सदस्य मानते हैं? ’’