न्यूयॉर्क। ट्विटर ने रविवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक सलाहकार का ट्वीट हटा दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मास्क कारगर नहीं है।
अगस्त में व्हाइट हाउस से विज्ञान सलाहकार के रूप में जुड़े स्कॉट एटलस ने ट्वीट किया था, ‘‘क्या मास्क काम करता है ? नहीं।’’
इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि लोगों को मास्क पहनने के लिए कहने वाली नीति का समर्थन नहीं किया जा सकता है।
ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह ट्वीट कंपनी की उस नीति का उल्लंघन है, जिसके तहत कोई भी व्यक्ति कोविड-19 के संबंध में ऐसी गलत या भ्रामक जानकारी पोस्ट नहीं कर सकता है, जिसकी वजह से लोगों को नुकसान पहुंचे। नीति के तहत उन बयानों को प्रतिबंधित कर दिया जाता है, स्वास्थ्य विशेषज्ञ जिनके गलत होने या भ्रामक होने की पुष्टि करते हैं।
इस तरह के मामलों में ट्विटर संबंधित व्यक्ति के अकाउंट को तब तक निष्क्रिय रखता है जब तक वह खुद अपने पोस्ट को नहीं हटाता।
राष्ट्रपति ट्रंप कोरोना वायरस से निपटने में मास्क की उपयोगिता को लगातार कमतर बताते रहे हैं और यहां तक कि उन्होंने खुद संक्रमित होने के बाद भी ऐसा करना जारी रखा।
एटलस ने एक ईमेल में कहा, ‘‘मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि ट्वीट क्यों हटा दिये गये।’’ उन्होंने ट्विटर के इस कदम को सेंसरशिप करार दिया है।
एटलस ने कहा कि उनका इरादा यह बताना था कि लोगों को मास्क पहनने के लिए कहने वाली नीति कारगर नहीं है।उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा कि मास्क से संबंधित सही नीति यह है कि इसका इस्तेमाल तब किया जाए जब कोई सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर सकता हो।
ट्रंप के प्रेस सचिव को भी ट्वीटर कर चुका है बैन
बता दें कि हाल ही में ट्वीटर ने ह्वाईट हाउस में प्रेस सचिव के पद पर कार्यरत ,कायली मैकनेनी के निजी अकाउंट ‘लॉक’ कर दिया है क्योंकि उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन के बेटे के कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा समाचार साझा किया था।
राष्ट्रपति ट्रंप तथा उनके अभियान की ओर से आरोप लगाया गया कि ट्विटर ने यह कदम न्यूयार्क पोस्ट की एक खबर मैकनेनी द्वारा साझा करने के चलते उठाया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि बाइडेन के बेटे हंटर बाइडेन ने यूक्रेन की एक कंपनी के बोर्ड के सदस्य के रूप में भुगतान पाने के लिए अपने पिता के ओहदे का फायदा उठाया, जो तब उप राष्ट्रपति थे और खासतौर पर यूक्रेन तथा रूस संबंधी मामलों के प्रभारी थे।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के मामले अमेरिका में सबसे अधिक एक करोड़ से अधिक है और मृतकों की संख्या 2,15,000 हो चुकी है। अमेरिका के विपक्षी दलों का मामना है कि अमेरिका में कोरोना ट्रंप प्रशासन की नाकाम नीतियों के कारण विकराल हुई है।