तुर्की ने अफगानिस्तान में अपने सैनिकों की तैनाती बनाए रखने के लिए अमेरिका से सहयोग मांगा


तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कहा है कि नाटो सैनिकों की वापसी के बाद अगर उसे काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की रक्षा और संचालन के लिए अफगानिस्तान में अपने सैनिकों को रखना पड़ा,तो उनके देश को अमेरिका से ‘‘ राजनयिक, साजो सामान संबंधी और आर्थिक सहयोग चाहिए होगा।’’


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ब्रसेल्स। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कहा है कि नाटो सैनिकों की वापसी के बाद अगर उसे काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की रक्षा और संचालन के लिए अफगानिस्तान में अपने सैनिकों को रखना पड़ा,तो उनके देश को अमेरिका से ‘‘ राजनयिक, साजो सामान संबंधी और आर्थिक सहयोग चाहिए होगा।’’

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के नेताओं के साथ बैठकों के बाद सोमवार को एर्दोआन ने कहा कि अमेरिका नीत नाटो बल के वापस जाने के बाद तुर्की अफगानिस्तान में नए मिशन के लिए पाकिस्तान और हंगरी से बात कर रहा है।

ऐसा माना जा रहा है कि तुर्की ने हवाई अड्डे पर सुरक्षा मुहैया कराने की पेशकश की है, क्योंकि प्रश्न उठ रहे हैं कि प्रमुख परिवहन मार्गों और हवाई अड्डे पर सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी।

एर्दोआन ने कहा, ‘‘ अगर वे नहीं चाहते की हम अफगानिस्तान से जाएं, अगर वे तुर्की का समर्थन चाहते हैं, तो अमेरिक से हमें जो राजनयिक, साजो सामान संबंधी और आर्थिक सहयोग मिलेगा उसके काफी मायने होंगे।’’

तुर्की, एक बहुसंख्यक मुस्लिम राष्ट्र है जिसका अफगानिस्तान के साथ घनिष्ठ ऐतिहासिक संबंध हैं और वर्तमान में युद्धग्रस्त देश में उसके लगभग 500 सैनिक हैं।

एर्दोआन ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ उनकी बैठक काफी अच्छी रही और उन्होंने बाइडन को तुर्की आने का निमंत्रण भी दिया है।

वहीं, बाइडन ने पत्रकारों से कहा कि वह ‘‘ आश्वस्त हैं कि तुर्की के साथ संबंधों में सही में तेजी आएगी।’’

अफगानिस्तान के सवाल पर बाइडन ने कहा, ‘‘ नेताओं के बीच अफगानिस्तान को लेकर एक बड़ी सहमति बनी है। हमारे सैनिक वहां से लौट रहे हैं लेकिन हम इस बात पर सहमत हुए हैं कि अफगानिस्तान के लोगों के लिए हमारी राजनयिक, आर्थिक, मानवीय प्रतिबद्धताओं को हम पूरा करेंगे।’’



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