संयुक्त राष्ट्र इकाई: स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार बना मानवाधिकार


संयुक्त राष्ट्र की मुख्य मानवाधिकार इकाई ने सुरक्षित, स्वच्छ, स्वस्थ और सतत पर्यावरण को मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी।


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जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र की मुख्य मानवाधिकार इकाई ने सुरक्षित, स्वच्छ, स्वस्थ और सतत पर्यावरण को मानवाधिकार के रूप में मान्यता देने और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में मानवाधिकारों की निगरानी के लिए एक विशेषज्ञ की नियुक्ति करने वाले प्रस्ताव को भारी बहुमत के साथ पारित किया।

मानवाधिकार परिषद ने स्वच्छ पर्यावरण प्रस्ताव को पारित किया। इसमें देशों से पर्यावरण में सुधार करने की अपनी क्षमताओं को भी बढ़ाने की मांग की गई है। इस प्रस्ताव के समर्थन में 43 जबकि विरोध में एक भी मत नहीं पड़ा। वहीं चार सदस्य देश चीन, भारत, जापान और रूस अनुपस्थित रहे।

ह्यूमन राइट्स वॉच में संयुक्त राष्ट्र एडवोकेसी (पक्षधरता) की उप निदेशक लूसी मैककर्नन ने वैश्विक पर्यावरण संकट से निपटने में मदद करने के लिए स्वच्छ पर्यावरण उपाय को महत्वपूर्ण करार दिया।

उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर इस अधिकार को मान्यता देने से स्थानीय समुदायों को पर्यावरण विनाश के खिलाफ आजीविका, स्वास्थ्य और संस्कृति की रक्षा करने में मदद मिलेगी और सरकारों को यह मजबूत और बेहद सुसंसगत पर्यावरण संरक्षण कानूनों और नीतियों को बनाने में मदद करेगी।

वहीं एक अन्य प्रस्ताव में ‘विशेष प्रतिवेदक’ का पद तीन साल के लिए सृजित किया गया है, जो अन्य चीजों के साथ इस बात की निगरानी करेगा कि जलवायु परिवर्तन कैसे मानवाधिकारों को प्रभावित करता है। इस प्रस्ताव के लिए 42-1 से मतदान हुआ। रूस ने आपत्ति दर्ज की जबकि चीन, इरीट्रिया, भारत और जापान अनुपस्थित रहे।



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