डब्लूएचओ Vs अमेरिका Vs चीन : अमेरिका द्वारा WHO को दी जाने वाली फंडिंग रोकने के क्या हैं परिणाम और मायने ?
डब्लूएचओ Vs अमेरिका Vs चीन : अमेरिका द्वारा WHO को दी जाने वाली फंडिंग रोकने के क्या हैं परिणाम और मायने ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO पर कोरोना संकट से निपटने में गैर जिम्मेदार तरीके से काम करने का आरोप लगाकर उसे दी जा रही फंडिंग पर 15 अप्रैल को रोक लगा दी जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोरोना वायरस के खिलाफ अपने मिशन पर पड़ने वाले असर की समीक्षा करने को मजबूर कर दिया है। लेकिन मेरिका द्वारा WHO कोदी जाने वालीफंडिंग रोकने के परिणाम और मायने क्या हैं ?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO पर कोरोना संकट से निपटने में गैर जिम्मेदार तरीके से काम करने का आरोप लगाकर उसे दी जा रही फंडिंग पर 15 अप्रैल को रोक लगा दी जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोरोना वायरस के खिलाफ अपने मिशन पर पड़ने वाले असर की समीक्षा करने को मजबूर कर दिया है। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, ‘जब तक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने और इससे निपटने में गंभीर कुप्रबंधन और इसे छुपाने में वैश्विक संस्था की भूमिका का आकलन करने के लिए समीक्षा की जा रही है तब तक आज मैं अपने प्रशासन को डब्ल्यूएचओ के वित्त पोषण को रोकने का निर्देश दे रहा हूं। हर कोई जानता है कि वहां क्या हुआ है।’ ट्रंप प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाया है जिसकी वजह से अमेरिका की अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया है। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला WHO और उन देशों के लिए बड़ा ख़तरा है जिनकी मदद के लिए विपरीत परिस्थितयों में WHO सामने आता है क्योंकि WHO को मदद देने वाले देशों में अमेरिका का पहला स्थान है। अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सालाना 50 करोड़ डॉलर (करीब 38,19,02,50,000 रुपये) की आर्थिक सहायता सहायता देता था. डब्ल्यूएचओ को अमेरिका के अलावा चीन लगभग 220 करोड़ रुपये, जापान लगभग 160 करोड़ रुपये, जर्मनी लगभग 114 करोड़ रुपये और यूके लगभग 84 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देते हैं. कोरोना संकट के बीच अमेरिका के इस बड़े फैसले से हुई वित्तीय कमी को पूरा करने के लिए अब WHO दूसरे सहयोगी देशों के साथ काम करेगा।
वैश्विक संकट के बीच सुपरपॉवर अमेरिका ने इतना बड़ा फैसला क्यों लिया ?
कुछ दिन पहले ट्रंप ने वाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम डब्ल्यूएचओ पर खर्च की जाने वाली राशि पर रोक लगाने जा रहे हैं। हम इस पर बहुत प्रभावशाली रोक लगाने जा रहे हैं। अगर यह काम करता है तो बहुत अच्छी बात होती। लेकिन जब वे हर कदम को गलत कहते हैं तो यह अच्छा नहीं है।’ इसके बाद कई लोगों का अनुमान था कि अमेरिका WHO को देने वाली फंडिंग पर कटौती कर सकता है लेकिन किसी ने भी ये नहीं सोचा था कि ट्रंप WHO को देने वाली पूरी फंडिंग को रोकने का फैसला दे देंगे।
दरअसल नवंबर में चीन के वुहान शहर से कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया जिसने देखते देखते पहले पूरे वुहान शहर को और फिर पूरी दुनिया को अपनी जद में ले लिया। इसके 4 महीने बाद जब पूरी दुनिया में कोरोना से मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा था तो वहीं चीन से कोरोना को काबू करने की ख़बरें सामने आने लगीं। अमेरिका भारत समेत विश्व के कई देश हैरान थे कि जिस कोरोना वायरस की वैक्सीन कोई नहीं बना पाया उस वायरस पर चीन ने अन्य देशों के मुकाबले इतनी जल्दी काबू कैसे पा लिया ? इसी दौरान चीन में कोरोना वायरस पर पूर्वानुमान लगाने वालों और रिसर्च करने वाले लोगों कि गुमशुदगी की रिपोर्ट्स भी दुनिया भर में लीक होनी शुरू हुईं।
इसके बाद अमेरिका समेत दुनिया के कई अन्य देशों ने चीन पर जानबूझकर वायरस फैलाने और कोरोना वायरस को लेकर गलत आंकड़ें जारी करने के आरोप लगाए जिसका चीनी सरकार द्वारा खंडन किया गया। चीन और अमेरिका के बीच तो आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला काफी वक़्त तक चला। लेकिन इन सब के विपरीत WHO ने चीनी सरकार पर भरोसा जताते हुए कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई और वायरस पर जीत हासिल करने पर चीन की प्रशंसा की और अन्य देशों को सीख लेने का सन्देश दिया जो सुपरपावर अमेरिका को नागवार गुजरा।
इसके बाद अमेरिका ने चीन पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को गिराने का आरोप लगाते हुए WHO पर पक्षधारिता, चीन की तरफदारी करने, चीन में कोरोना वायरस के प्रसार को दुनियाभर से छिपाने, दुनिया के आगे एक महा संकट पैदा और सिर्फ चीन पर ही केन्द्रित होने का आरोप लगाया। इसके बाद WHO ने कोरोना वायरस जैसी महामारी का राजनीतिकरण न करने की हिदायत देते हुए सभी आरोपों का खंडन किया था जिसके बाद अमेरिका ने WHO को देने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी।
दुनिया इस मुद्दे को कैसे देख रही है ?
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुतेरस ने अपने अधीन आने वाली वैश्विक संस्था का बचाव कर अमेरिका के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा विश्व स्वास्थ्य संगठन की आर्थिक सहायता रोकने का यह सही समय नहीं है। उन्होने कहा कि कोरोना संक्रमण की वैश्विक महामारी से उबरने के बाद पीछे मुड़कर यह देखने की जरूरत होगी कितनी फैली और अचानक कैसे पूरी दुनिया में विनाश लेकर आई। तब हमें यह भी देखना होगा कि संकटकाल में किसने कैसा बर्ताव किया। यूरोपीय संघ ने भी इस फैसले की आलोचना की है।
यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले की यूरोपीय संघ ने 27 देशों के समूह की ओर से आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के पास विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकना का कोई कारण नहीं है। उन्होने कहा कि इस वैश्विक महामारी से निपटने में डब्ल्यूएचओ की जरूरत जितनी अभी है, उतनी पहले कभी नहीं थी। क्या सिर्फ सेना के बल पर हम इस संकट से निपट सकते हैं जिसके लिए देश की सीमाओं के कोई मायने नहीं हैं।
बर्लिन में जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने डब्ल्यूएचओ की आर्थिक सहायता रोकने के अमेरिका के फैसले का विरोध किया है। उन्होने कहा कि कोरोना संकट के लिए उन्हें दूसरों को दोष देना बंद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरों को दोष देकर इस गंभीर संकट में कोई मदद नहीं होगी। आपका बेहतरीन निवेश यही होगा कि आप संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करें। डब्ल्यूएचओ में वित्तीय संकट होने पर परीक्षणों और वैक्सीनों को विकसित करने और उनके वितरण में समस्या आएगी।
दूसरे देशों के अलावा अमेरिका में भी इस फैसले की आलोचना हो रही है। ‘अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ के प्रेसिडेंट डॉक्टर पैट्रिक हैरिस ने डब्लूएचओ की फंडिंग रोके जाने के फैसले को खतरनाक बताया। हैरिस ने सीएनएन से कहा, “यह इस सदी का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट है। ट्रम्प ने डब्लूएचओ की फंडिंग रोक दी। ये गलत दिशा में उठाया गया खतरनाक कदम है। इस वायरस की कोई सीमा नहीं है। दुनिया अगर एक होकर मुकाबला नहीं करेगी तो हालात बेहद जटिल हो जाएंगे। इसका असर हम अमेरिकियों पर भी पड़ना तय है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीफ टेड्रोस एधेनोम के मुताबिक, अमेरिका द्वारा फंडिंग रोके जाने के बाद भी संगठन अपना काम करता रहेगा। चीफ ने कहा, “हाल के दिनों में देश, संगठन और व्यक्तियों की तरफ से मिले सहयोग के लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं। हम इस बात का अध्यन कर रहे हैं कि अमेरिका की फंडिंग रुकने से हमारे किन कार्यक्रमों पर और कितना असर पड़ सकता है। हम हर देश के साथ काम करना चाहते हैं। महामारी के खिलाफ हम हर स्तर पर एक जंग लड़ रहे हैं।”
माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के सह संस्थापक और चेयरमैन बिल गेट्स ने कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच अमेरिका की ओर से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की फंडिंग रोकने को खतरनाक बताया है। बिल गेट्स ने बुधवार को ट्वीट किया- डब्ल्यूएचओ की ओर से किए जा रहे कार्यों से कोरोना के संक्रमण को तेज गति से फैलने से रोकने में मदद मिली है। यदि उसका काम रुक जाता है तो कोई दूसरा संगठन उसका स्थान नहीं ले सकता। मौजूदा समय में विश्व को डब्ल्यूएचओ की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।
अमेरिका के WHO फंडिंग बैन फैसले पर चीन ने क्या कहा ?
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने अमेरिका के WHO फंडिंग बैन पर कहा कि वह डब्ल्यूएचओ की आर्थिक सहायता निलंबित करने के अमेरिका के फैसले से चिंतित है। साथ ही चीन ने अमेरिकी से कोरोना वायरस संकट के चलते इस वैश्विक संस्था की आर्थिक सहायता बहाल करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि इस समय वैश्विक महामारी की स्थिति बेहद गंभीर है। अमेरिका का यह फैसला डब्ल्यूएचओ की क्षमताओं को कम करेगा। इससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग में भी रुकावट आएगी।
ट्रंप के फैसले की असल वजह ‘अमेरिका में कोरोना का प्रकोप’
जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में अब तक कोरोना वायरस महामारी के कारण 26,033 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं बात संक्रमित लोगों की जाए तो यह आंकड़ा छह लाख की संख्या पार कर गया है। मंगलवार 14 अप्रैल को कम से कम 2,405 मौतें दर्ज की गई, साथ ही 26,633 नए मामले दर्ज किए गए। जनवरी में कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद से अब तक अमेरिका में ही 6,09,240 लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं कोरोना के कहर को सबसे अधिक झेलते न्यू यॉर्क शहर में मौत का आंकड़ा 10,000 से अधिक पहुंच गया है। अधिकारियों ने लगभग ऐसे 4,000 लोगों के मारे जाने का भी अनुमान जताया है, जो जांच में कभी संक्रमित नहीं पाए गए, लेकिन उनकी कोरोना वायरस से मौत की आशंका है। न्यू यॉर्क के स्वास्थ्य विभाग ने एलान किया कि 3,778 लोगों की इस बीमारी से मौत होने की आशंका है। नए आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका में कोरोना वायरस के केंद्र बने इस शहर में संक्रामक रोग से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 10,367 पर पहुंच गई है। अमेरिका में कुल मरने वालों की संख्या में आधे के करीब न्यू यॉर्क में ही दर्ज की गई हैं।