संघर्ष में महिलाओं को सबसे ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है : संयुक्त राष्ट्र


संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी की प्रमुख ने सोमवार को कहा कि सभी संकटों और संघर्षों में महिलाएं और लड़कियां सबसे अधिक कीमत चुकाती हैं और म्यांमा, अफगानिस्तान से लेकर साहेल और हैती के बाद अब ‘‘यूक्रेन का भयानक युद्ध उस सूची में शामिल हो गया है।’’


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संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी की प्रमुख ने सोमवार को कहा कि सभी संकटों और संघर्षों में महिलाएं और लड़कियां सबसे अधिक कीमत चुकाती हैं और म्यांमा, अफगानिस्तान से लेकर साहेल और हैती के बाद अब ‘‘यूक्रेन का भयानक युद्ध उस सूची में शामिल हो गया है।’’

अवर महासचिव सीमा बहौस ने ‘महिलाओं की स्थिति पर आयोग’ की वार्षिक बैठक के उद्घाटन सत्र के दौरान कहा कि हर गुजरते दिन के साथ युद्ध यूक्रेन की महिलाओं और लड़कियों के जीवन, आशाओं और भविष्य को नुकसान पहुंचा रहा है।

बहौस ने उन पुरुषों का उल्लेख नहीं किया जो यूक्रेन की लड़ाई में मारे जा रहे हैं और घायल हुए हैं, हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रार्थना करती हूं कि महिलाएं और वे सभी जो संघर्ष का सामना कर रहे हैं, उन्हें जल्द ही शांति मिले।’’ इस वर्ष दो सप्ताह के बैठक का प्राथमिक विषय ‘जलवायु परिवर्तन से निपटने में महिलाओं को सशक्त बनाना’ है। यह कोविड-19 महामारी के बाद तीन वर्षों में महिलाओं की स्थिति पर आयोग का पहला निजी सत्र है।

बहौस ने कहा, ‘‘जैसा कि सभी संकटों के साथ होता है, जलवायु परिवर्तन भी महिलाओं और लड़कियों से इसकी सबसे अधिक कीमत वसूलता है।’’ यूएन वूमेन की कार्यकारी निदेशक बहौस ने कहा कि यह उन लोगों के लिए विशेष रूप से सच साबित होता है जो पहले से ही पीछे छूट चुकी होती हैं। महिलाओं के ऊपर घर संभालने की जिम्मेदारी आ जाती है, ग्रामीण महिलाएं, युवा लड़कियां स्कूल नहीं जा पाती हैं क्योंकि उन्हें सूखे के समय पानी लाने के लिए दूर जाना पड़ता है। भूमिहीन, वृद्ध और आर्थिेक रूप से कमजोर महिलाएं इसका आसान निशाना बनती हैं।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने कहा कि दुनिया अभी भी पुरुष-प्रधान है। जलवायु संकट, प्रदूषण, मरुस्थलीकरण और जैव विविधता के नुकसान के साथ-साथ कोविड-19 महामारी और यूक्रेन युद्ध तथा अन्य संघर्षों का असर सभी को प्रभावित करता है लेकिन ‘‘महिलाओं और लड़कियों को सबसे बड़े खतरों और सबसे गहरे नुकसान का सामना करना पड़ता है।’’



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