विश्व पयार्वास दिवस: सुंदर शहरों का निर्माण करें, जीवन को बेहतर बनाएं


आज की दुनिया में लगातार बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के विकास के चलते लोगों का रहन-सहन का वातावरण लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है और मानव बस्तियों की समस्या पर भी ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान केंद्रित हुआ है।


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बीजिंग। आज की दुनिया में लगातार बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के विकास के चलते लोगों का रहन-सहन का वातावरण लगातार चुनौतियों का सामना कर रहा है और मानव बस्तियों की समस्या पर भी ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान केंद्रित हुआ है। मानव बस्तियों के क्षेत्र में चाहे विकसित देश हो, या विकासशील देश, उन्हें कुछ समान समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यानी कि भीड़भाड़, बुनियादी सेवाओं की कमी, पर्याप्त आवास की कमी, अपर्याप्त बुनियादी ढांचा इत्यादि।

साल 1985 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रस्ताव पारित कर हर साल अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पयार्वास दिवस (वल्र्ड हैबिटाट डे) के रूप में निर्धारित किया, जिसका उद्देश्य मानव बस्तियों की समस्या को हल करने के लिए सरकारों और पूरे समाज का ध्यान आकर्षित करना है, और पूरी दुनिया को मानव बस्तियों के विकास के लिए प्रयास करने का आह्वान करना है। वर्तमान में सामाजिक उथल-पुथल, प्राकृतिक आपदाएं, स्थानीय युद्ध आदि कारणों से दुनिया में बड़ी संख्या में बेघर हुए हैं, और उनके रहन-सहन की समस्याओं पर ध्यान देना और उनका समाधान करना और भी आवश्यक हो गया है।

शहरीकरण मानव समाज की विकास दिशा और आधुनिकीकरण की एक सामान्य प्रवृत्ति है। हाल के वर्षों में, शहरों में रहने वाले लोग कोरोना महामारी के कारण शहरों को छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन यह केवल एक अस्थायी प्रवृत्ति है। संयुक्त राष्ट्र मानव बस्ती कार्यक्रम द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2021 में विश्व शहरीकरण दर 56 प्रतिशत थी, और वर्ष 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 68 प्रतिशत हो जाएगा, और शहरीकरण दर में वृद्धि मुख्य रूप से एशिया और अफ्रीका जैसे विकासशील देशों में होगी।

रहने और रोजगार के अवसरों के मामले में शहरों के फायदे की मजबूत शक्ति की वजह से धीमी आर्थिक विकास की अवधि के दौरान भी शहरीकरण आगे बढ़ता रहता है। हालांकि, शहरीकरण की प्रक्रिया में ऐसी समस्याएं और चुनौतियां भी मौजूद हैं, जिन्हें हल करने की आवश्यकता है, जैसे कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, शहरीकरण की प्रक्रिया में उत्पन्न गरीबी, लोगों द्वारा प्राप्त शहरीकरण लाभों की असमानता, और शहरी विकास के दौरान झटकों के मुकाबले में कमजोरी इत्यादि। आवास, पानी, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं आदि सभी लोगों के जीवन से निकटता से जुड़ी हुई हैं। लोगों की बुनियादी जीवनयापन की जरूरतों को पूरा करने के आधार पर, अधिक से अधिक लोगों को ज्यादा आरामदायक और बेहतर जीवन जीने देना शहरी विकास का लक्ष्य है।

साल 2012 से ही, चीन ने नए शहरीकरण की अवधारणा का प्रस्ताव रखा, जिसके अनुसार, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के एकीकृत विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है, कृषि हस्तांतरण आबादी के नागरिकीकरण की प्रक्रिया को तेज किया जा रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी बुनियादी ढांचे, सार्वजनिक सेवाओं तथा औद्योगिक श्रृंखलाओं के विस्तार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही एकीकृत, बुद्धिमान, हरित और निम्न-कार्बन वाले विकास की नई मांग पेश की गई। भूमि उपयोग, पर्यावरण संरक्षण, संसाधन बचत, कम कार्बन ऊर्जा, डिजिटल शासन, अपशिष्ट वर्गीकरण, और शौचालय क्रांति आदि क्षेत्रों में शहरों के सतत विकास और उच्च गुणवत्ता वाले विकास को बढ़ावा दिया गया है।

शहरीकरण के विकास से पैदा नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए चीन स्पंज शहरों के निर्माण, हरित क्षेत्रों में वृद्धि, और आद्र्रभूमि पार्कों का निर्माण आदि काम करने में सक्रिय है। इसका लक्ष्य शहर और प्रकृति के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को बखूबी अंजाम देना है। क्योंकि अधिक सुंदर शहरों का निर्माण कर मानव का रहन-सहन वातावरण ज्यादा आरामदायक और बेहतर हो सकता है। यह संयुक्त राष्ट्र विश्व पयार्वास दिवस का उद्देश्य ही है।



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