
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि माल एवं सेवा कर (GST) की वजह से कर दरें घटी हैं, जिससे अनुपालन बढ़ाने में मदद मिली है। साथ की इसकी वजह से करदाताओं का आधार दोगुना होकर 1.24 करोड़ पर पहुंच गया है।
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली की पहली पुण्यतिथि पर वित्त मंत्रालय ने सोमवार को कई ट्वीट किए। मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी से पहले मूल्यवर्धित कर (VAT), उत्पाद शुल्क और बिक्रीकर देना पड़ता था। सामूहिक रूप से इनकी वजह से कर की मानक दर 31 प्रतिशत तक पहुंच जाती थी।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘अब व्यापक रूप से सब मानने लगे हैं कि जीएसटी उपभोक्ताओं और करदाताओं दोनों के अनुकूल है। जीएसटी से पहले कर की ऊंची दर की वजह से लोग करों का भुगतान करने में हतोत्साहित होते थे। लेकिन जीएसटी के तहत निचली दरों से कर अनुपालन बढ़ा है।’’
मंत्रालय ने कहा कि जिस समय जीएसटी लागू किया गया था उस समय इसके तहत आने वाले करदाताओं की संख्या 65 लाख थी। आज यह आंकड़ा बढ़कर 1.24 करोड़ पर पहुंच गया है। जीएसटी में 17 स्थानीय शुल्क समाहित हुए हैं। देश में जीएसटी को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था।
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली वित्त मंत्री थे। मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘आज हम अरुण जेटली को याद कर रहे हैं। GST के क्रियान्वयन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। इतिहास में इसे भारतीय कराधान का सबसे बुनियादी ऐतिहासिक सुधार गिना जाएगा।’’
मंत्रालय ने कहा कि लोग जिस दर पर कर चुकाते थे, जीएसटी व्यवस्था में उसमें कमी आई है। राजस्व तटस्थ दर (RNR) समिति के अनुसार राजस्व तटस्थ दर 15.3 प्रतिशत है। वहीं रिजर्व बैंक के अनुसार अभी जीएसटी की भारित दर सिर्फ 11.6 प्रतिशत है।
It is now widely acknowledged that GST is both consumer and taxpayer-friendly. While the high tax rates of the pre-GST era acted as a disincentive to paying tax, the lower rates under GST helped to increase tax compliance. (6/6)
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) August 24, 2020
ट्वीट में कहा गया है कि 40 लाख रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों को जीएसटी की छूट मिलती है। शुरुआत में यह सीमा 20 लाख रुपये थी। इसके अलावा डेढ़ करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियां कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुन सकती हैं। उन्हें सिर्फ एक प्रतिशत कर देना होता है।
मंत्रालय ने कहा कि पहले 230 उत्पाद सबसे ऊंचे 28 प्रतिशत के कर स्लैब में आते थे। आज 28 प्रतिशत का स्लैब सिर्फ अहितकर और विलासिता की वस्तुओं पर लगता है। इनमें से 200 उत्पादों को निचले कर स्लैब में स्थानांतरित किया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि आवास क्षेत्र पांच प्रतिशत के कर स्लैब के तहत आता है। वहीं सस्ते मकानों पर जीएसटी की दर को घटाकर एक प्रतिशत कर दिया गया है।