गांवों के विकास के लिए केंद्र सरकार की ओर से स्व सहायता समूहों को सशक्त करने का काम किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों और गांवों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों दोनों को साथ लेकर ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (जीपीडीपी) बनाया जाएगा। जीपीडीपी में विकास मुद्दों, महसूस की गई आवश्यकताओं और सीमांत तबकों के लोगों सहित समुदाय की प्राथमिकताओं को परिलक्षित किए जाने की अपेक्षा की जाती है। इस कारण से सरकार की तरफ से लोगों की भावनाओं को योजनाओं में शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
बता दें कि जीपीडीपी में मूलभूत अवसंरचना व सेवाओं, संसाधन विकास और विभागीय योजनाओं के अंतःसंयोजन से संबंधित मांग के अतिरिक्त सामाजिक मुद्दों के समाधान की क्षमता है। नागरिक योजना अभियान (पीपीसी) के तहत देश भर में हर साल 2 अक्तूबर से 31 दिसंबर तक जीपीडीपी का संचालन किया जाता है।
विभागों की भागीदारी
नागरिक योजना अभियान (पीपीसी) दिशानिर्देशों एवं पंचायती राज मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी परामर्शी ने स्वयं सहायता समूहों एवं दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत उनके संघों को वार्षिक जीपीडीपी नियोजन प्रक्रिया में भाग लेने एवं ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (वीपीआरपी) तैयार करने के लिए अधिदेशित किया है। वीपीआरपी स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेटवर्क एवं उनके संघों द्वारा उनकी मांगों एवं स्थानीय क्षेत्र विकास, जिन्हें प्रकल्पित करने के लिए ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (जीपीडीपी) के साथ समेकित किए जाने की आवश्यकता है, द्वारा तैयार एक व्यापक मांग योजना है। वीपीआरपी को प्रत्येक वर्ष अक्तूबर से दिसंबर तक ग्राम सभा बैठकों में प्रस्तुत किया जाता है। यह नियोजन प्रक्रिया डीएवाई-एनआरएलएम और स्थानीय स्व-सरकार संस्थानों (पंचायती राज संस्थानों) के बीच अभिसरण प्रयास का एक अंतरंग घटक है।
लोगों को सशक्त करने का काम कर रही सरकार : अधिकारी
यूपी के गाजीपुर जिला के सदात ब्लॉक के सहायक विकास अधिकारी (आइएसबी) राजीव गुप्ता ने बताया, सरकार गांवों में स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करने का काम करके लोगों को सशक्त करने का काम कर रही है। इस योजना की व्यवहारिक प्रक्रिया इस प्रकार समझा जा सकता है कि गरीबी रेखा के नीचे की महिलाओं का एक समूह बनाया जाएगा। जो 1500 रुपये जुटाकर नजदीकी बैंक में खाता खोलेंगी और अपना बचत उस खाते में जमा करेंगी। सरकार की तरफ से उस समूह को 15 हजार रुपये दिया जाएग। समूह अपनी रकम को गांव के लोगों को निर्धारित ब्याज पर देगा। और लोगों को छोटे-छोटे रोजगार के लिए आर्थिक मददगार बनेगा। ब्याज का निर्धारण भी स्वयं समूह ही करेगा।
अधिकारी ने बताया, आने वाले समय में स्वयं सहायता समूह गांव के हरेक विकास कार्यों में भागीदारी करेंगे। आजकल गांवों में कताई, बुनाई व ठेला पर विभिन्न उत्पादों को बेचने के लिए स्वयं सहायता समूह योगदान कर रहे हैं। इसके अलावा मनरेगा में सीआरडी बोर्ड का काम कराने और पोषण अभियान से भी ऐसे समूहों को जोड़ा जा रहा है।
साल 2018-19 व 2019-20 में समेकन के लिए सर्कुलर जारी
पंचायती राज मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से 2018-19 एवं 2019-20 में वीपीआरपी और जीपीजीपी के साथ इसके समेकन की तैयारी पर सर्कुलर/परामर्शी जारी किए गए हैं। यह प्रक्रिया निर्धन परिवारों, जो डीएवाई-एनआरएलएम के तहत गठित एसएचजी के सदस्य होते हैं, को प्रतिभागी पद्धति में उनकी मांगों को उठाने और अंतिम योजना को विचार के लिए ग्राम पंचायतों को प्रस्तुत करने में सक्षम बनाती है। यह एसएचजी द्वारा तैयार, वीओ द्वारा संघटित तथा अंतिम रूप से ग्राम पंचायत स्तर पर तैयार एक व्यापक योजना के साथ आरंभ होती है। अंतिम वीपीआरपी जीपीडीपी के लिए आयोजित ग्राम सभाओं में प्रस्तुत किया जाएगा।
ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण (वीपीआरपी) के लिए
स्थानीय विकास के लिए एक व्यापक एवं समुदाय की एक समावेशी मांग योजना तैयार करना
मांग योजना के विकास के लिए एसएचजी संघ एवं पंचायती राज संस्थानों के बीच एक इंटरफेस को सुगम बनाना
गरीबी न्यूनीकरण गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी के लिए समुदाय आधारित संगठनों एवं उनके नेतृत्व को सुदृढ़ बनाना
वीपीआरपी के घटक
सामाजिक समावेशन- एनआरएलएम के तहत एसएचजी में निर्बल लोगों/परिवारों के समावेशन के लिए योजना
हकदारी- मनरेगा, एसबीएम, एनएसएपी, पीएमएवाई, उज्जवला, राशन कार्ड आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के लिए मांग
आजीविकाएं- कृषि, पशुपालन के विकास, उत्पादन एवं सेवा उद्यमों तथा प्लेसमेंट आदि के लिए कुशलता प्रशिक्षण के जरिये आजीविका बढोतरी के लिए विशिष्ट मांग
सार्वजनिक वस्तुएं एवं सेवाएं- विद्यमान अवसंरचना के पुनरोत्थान एवं बेहतर सेवा प्रदायगी के लिए आवश्यक मूलभूत अवसंरचना के लिए मांग
संसाधन विकास- भूमि, जल, वन एवं स्थानीय रूप से उपलब्ध अन्य संसाधनों जैसे प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा एवं विकास के लिए मांग
सामाजिक विकास- जीपीडीपी के निम्न लागत लागत रहित घटक के तहत गांवों के विशिष्ट सामाजिक विकास पर ध्यान देने के लिए योजनाएं तैयार की गईं
राज्य मिशनों के लिए वीपीआरपी पर प्रशिक्षण
वर्तमान कोविड-19 स्थिति के साथ, डीएवाई-एनआरएलएम ने कुदुंभश्री (राष्ट्रीय संसाधन संगठन), राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर), हैदराबाद तथा पंचायती राज मंत्रालय की साझीदारी में वीपीआरपी पर देश भर में सभी राज्य मिशनों को प्रशिक्षित करने के लिए एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई। पांच राज्यों-असम, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा एवं उत्तर प्रदेश में ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजनाओं की तैयारी में कुदुंभश्री एनआरओ के अनुभव पर आधारित ऑनलाइन वीपीआरपी प्रशिक्षण के लिए संसाधन सामग्रियों के रूप में उपयोग के लिए तैयार उपकरणों, प्रशिक्षण माड्यूलों, ऑडियो/वीडियो एवं अनुभव साझा करने वाले वीडियो आदि का विकास किया गया जहां उनकी सहायता से पीआरआई-सीबीओ अभिसरण पर पायलट परियोजनाएं कार्यान्वित की गईं हैं। संसाधन सामग्री को राज्यों के साथ साझा किया गया जिन्हें राज्यों की आवश्यकता के अनुसार संशोधित किया गया एवं स्थानीय भाषाओं में अनुदित किया गया। राज्य मिशनों द्वारा प्रशिक्षण की प्रगति की निगरानी के लिए एक वेब आधारित ऐप्लीकेशन का भी विकास किया गया है।
पहले चरण का प्रशिक्षण 13 से 25 अगस्त तक चला
34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में कर्मचारियों एवं अन्य संसाधन व्यक्तियों के लिए दो चरणों में प्रशिक्षणों का संचालन किया गया। ग्रामीण विकास के राज्य संस्थानों (एसआईआरडी) तथा अन्य साझीदार एजेन्सियों ने भी वर्चुअल प्रशिक्षण में हिस्सा लिया। पहले चरण का प्रशिक्षण 13 से 25 अगस्त, 2020 तक संचालित किया गया जिसमें 11, 687 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण के प्रथम चरण में वीपीआरपी एवं जीपीडीपी अवधारणाओं की समझ विकसित करने एवं प्रत्येक संघटक की तैयारी की प्रक्रिया, अंतिम योजना संघटन तथा ग्राम सभा में प्रस्तुति और राज्य मिशनों की भूमिका पर फोकस किया गया। वर्चुअल प्रशिक्षणों की अंतर्निहित सीमाओं के बावजूद, प्रतिभागियों का समग्र रिस्पांस सकारात्मक एवं उत्साहवर्द्धक था। प्रथम चरण की समाप्ति के बाद, प्रतिभागियों ने प्रक्रिया को सीखने के लिए एसएचजी एवं एक ग्राम संगठन (वीओ) के छोटे नमूने के साथ प्रक्रिया पर एक लघु प्रायोगिक अभ्यास का संचालन किया।
दूसरे चरण का प्रशिक्षण 3 से 5 सितंबर तक चला
प्रशिक्षण का दूसरा चरण ( प्रत्येक राज्य के लिए प्रत्येक एक दिन) राज्य मिशनों के लिए 3 से 5 सितंबर, 2020 तक संचालित किया गया जिसमें 10,583 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। दूसरे चरण में विकसित एमआईएस के जरिये वीपीआरपी की शुरुआत की निगरानी पर एक सत्र सहित वीपीआरपी आरंभ करने की कार्य योजनाओं को साझा करने पर फोकस किया गया।
ये प्रशिक्षित संसाधन व्यक्ति इसके बदले सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों को प्रशिक्षित करेंगे और वे वीपीआरपी तैयार करने में एसएचजी एवं वीओ को सुगम बनायेंगे जिन्हें इसके बाद जीपीडीपी के साथ समेकन के लिए ग्राम सभा बैठकों में वीओ द्वारा संघटित और प्रस्तुत किया जाएगा।
संविधान का अनु. 243 जी ग्राम पंचायत से संबंधित
संविधान के अनुच्छेद 243 जी का प्रयोजन आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए स्थानीय नियोजन और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 29 विषयों के संबंध में राज्य सरकारों को शक्ति और अधिकार हस्तांतरित करने के लिए ग्राम पंचायतों (जीपी) को सशक्त बनाना है। स्थानीय निकाय (जीपी) ग्रामीण भारत के रूपांतरण के लिए राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर प्रमुख योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं। 2015 में, 14वें वित आयोग के अनुदान जीपी को हस्तांतरित किए गए जिन्होंने उन्हें खुद अपने विकास के लिए योजना बनाने हेतु विशाल अवसर उपलब्ध कराया। तब से देश भर में स्थानीय निकायों से परिप्रेक्ष्य विशिष्ट, आवश्यकता आधारित ग्राम पंचायत विकास योजनाएं तैयार करने की अपेक्षा की जाती है।