पटना। मुजफ्फरपुर में आश्रय-गृह की बालिकाओं के साथ अत्याचार-यौनाचार का मामला उजागर होने के बाद सरकार और पार्टी से बर्खास्त पूर्व समाज-कल्याण मंत्री मंजू वर्मा को जदयू ने फिर उम्मीदवार बनाया है। उन पर नीतीश कुमार की कृपा होने का यह ताजा प्रमाण है।
मुजफ्फरपुर बालिका आश्रय गृह में 34 बालिकाओं के साथ कथित तौर पर यौनाचार होने का मामला उजागर होने और विवाद के बढ़ते जाने पर तत्कालीन समाज-कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने अगस्त 2018 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर अपना इस्तीफा दे दिया था। इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीई ने कर रही थी और सुप्रीम कोर्ट के उनकी गिरफ्तारी नहीं होने पर नाराजगी जाहिर करने पर गिरफ्तार हुई और करीब छह महीने जेल में रही।
समाज-कल्याण विभाग से प्राप्त कोष से चलने वाले इस आश्राय गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास हो गई और दिल्ली के तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं। मंजू वर्मा के पति चंद्रशेखर वर्मा आश्रय गृह के नियमित मेहमान होते थे। ब्रजेश के पास समाचार-पत्र समेत कई संपत्ति है जिन्हें अब सीबीई एक-एक कर जब्त कर रही है।
मंजू वर्मा की गिरफ्तारी इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल की छापेमारी में उनके घर से पचास गोली बरामद होने पर हुई थी। उनपर अवैध हथियार रखने के जुर्म में मुकदमा दायर हुआ था। उस समय वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू नेतृत्व पर जमकर बरसी थी। उनका कहना था कि उन्हें ऐसे जुर्म में फंसा दिया गया जिसे उन्होंने किया ही नहीं।
हालांकि आश्रय गृह के मामले की सीबीआई की जांच के बाद दाखिल आरोप पत्र में मंजू वर्मा और उनके पति चंद्रशेखर वर्मा का उल्लेख नहीं हुआ था। इसबार मंजू वर्मा उसी चेरिया बरियारपुर से जदयू उम्मीदवार होंगी जहां से लगातार दो बार विधायक रह चुकी हैं। यह कुशवाहा जाति के वर्चस्व वाला क्षेत्र है।
मंजू वर्मा के पति चंद्रेश्वर वर्मा उस इलाके के प्रभावशाली कुशवाहा नेता रहे हैं। पहले उनका संबंध वामदलों से रहा है। नीतीश कुमार से उनका संपर्क 2010 में हुआ और पहली बार 2010 में जदयू पार्टी उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरी।