कोरोना ने बदरंग कर दी यूपी में पान की लाली, किसानों को करोड़ों का नुकसान


किसानों और थोक कारोबारियों के मुताबिक इस बार पान के कारोबार को अब तक 350 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। लंबे समय से पान की मंडियां बंद होने से न केवल उत्तर प्रदेश के किसानों का बल्कि बाहर से आया पान का पत्ता भी सड़ चुका है।



लखनऊ। लॉकडाउन के चलते बीते करीब दो महीने से बंद पान की दुकानों ने उत्तर प्रदेश के हजारों पान किसानों की कमाई पर पानी फेर दिया है। पान किसानों की न केवल करोड़ों की फसल बर्बाद हुयी है बल्कि अगले सीजन के लिए भी उमीदें धराशाई हो गयी हैं।
पान किसानों को इस बार फसल पकने के समय फरवरी और मार्च के पहले हफ्ते में पड़ी जबरदस्त ठंड, बारिश और ओलावृष्टि के चलते तगड़ी चपत लगी थी और फिर लाकडाउन ने उन्हें सड़क पर ला दिया है।

इसी महीने के पहले हफ्ते में उत्तर प्रदेश सरकार ने पान मसाले की बिक्री को लेकर लगायी गयी रोक तो हटा लिया है, पर पान की बिक्री को लेकर कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। सरकारी आदेश में स्पष्टता न होने के चलते अब तक  पान की दुकानों की बंदी बरकरार है।

किसानों और थोक कारोबारियों के मुताबिक इस बार पान के कारोबार को अब तक 350 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। लंबे समय से पान की मंडियां बंद होने से न केवल उत्तर प्रदेश के किसानों का बल्कि बाहर से आया पान का पत्ता भी सड़ चुका है।

पान किसानों के लिए ये नुकसान केवल इसी सीजन भर का नही हैं बल्कि लॉकडाउन का खामियाजा उन्हें पूरे साल भुगतना पड़ेगा। राष्ट्रीय पान किसान यूनियन के महासचिव छोटेलाल चौरसिया बताते हैं कि मार्च और अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में किसान पान का बरेजा लगाते हैं तो लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया। इन हालात में पान किसानों के लिए बाहर से लताएं लाकर फसल बोना दुश्वार हो गया। बहुत कम ही किसान इस सीजन में पान की फसल बो सके हैं जिसके चलते इस बार खेती का रकबा भी घट गया है।

छोटेलाल चौरसिया बताते हैं कि लाकडाउन को लेकर सरकारी आदेशों में इस कदर भ्रम की स्थिति रही है कि आज तक पान किसान और छोटे दुकानदार झेल रहे हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन के दूसरे चरण में प्रदेश के उद्यान ने पान पत्तों की थोक मंडी पान दरीबा को खोलने का आदेश जारी किया।
पान की दुकानें बंद होने की दशा में पान के पत्तों की थोक मंडी कैसे खुल सकती है लिहाजा कहीं भी कोई मंडी नही लगी। इतना ही नहीं शराब व पान मसाला की बिक्री को इजाजत देने के बाद भी पान की बिक्री पर रोक है।
चौरसिया के मुताबिक इन हालात में जल्दी ही पान की खेती बंद होगी और पान का पत्ता कम से उत्तर प्रदेश से तो गायब ही हो जाएगा। पान किसानों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए छोटेलाल चौरसिया कहते हैं कि फसल बीमा के साथ ही इनको भी आर्थिक पैकेज में शामिल किया जाए।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में 21 जिलों में लगभग 1000 हेक्टेयर में पान की खेती होती है। इनमें सबसे ज्यादा खेती बाराबंकी, उन्नाव, महोबा और जौनपुर, हरदोई जैसे जिलों में होती है। उत्तर प्रदेश में खपत को देखते हुए पान के पत्ते बंगाल, उड़ीसा और बंगलादेश तक से आते हैं। प्रदेश में तैयार होने वाले पान के छोटे देशी पत्ते की मांग बाहर भी खासी है।



Related