गुजरात HC के 61 साल पूरे, बोले पीएम- न्यायपालिका ने संविधान की सुरक्षा का दायित्व दृढ़ता से निभाया


आज भी यदि पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी या सरकार के गलत निर्णयों की बात आती है तो लोग अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। लोगों को इस बात भरोसा अवश्य है कि यदि सरकार उनकी बात नहीं सुनेगी, प्रशासन नहीं सुनेगा तो कोर्ट उनकी बात सुनेगी और न्याय देगी।


Ritesh Mishra Ritesh Mishra
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नई दिल्ली। न्यायपालिका के प्रति लोगों में बढ़ते विश्वास की बात करें तो ये कहना गलत नहीं होगा कि आज भी यदि पुलिस, प्रशासनिक अधिकारी या सरकार के गलत निर्णयों की बात आती है तो लोग अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। इसकी वजह ये है कि लोगों को इस बात भरोसा अवश्य है कि यदि सरकार उनकी बात नहीं सुनेगी, प्रशासन नहीं सुनेगा तो कोर्ट उनकी बात सुनेगी और न्याय देगी।

बम्बई (महाराष्ट्र) से अलग होने के बाद जब गुजरात नया राज्य बना था तब गुजरात हाई कोर्ट की स्थापना 1 मई 1960 को हुई थी। हालांकि पिछले साल कोरोना महामारी के चलते ये समारोह नहीं हो पाया था। आज गुजरात हाई कोर्ट के 61 साल पूरे हो गए हैं। गुजरात हाई कोर्ट की डायमंड जुबली पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में शामिल हुए।

पीएम ने गुजरात हाईकोर्ट की डायमंड जुबली के अवसर पर सभी को बधाई दी। कहा कि, पिछले वर्षों में अपनी कानूनी समझ, अपनी विद्वत्ता और बौद्धिकता से गुजरात हाईकोर्ट और बार ने एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

पीएम मोदी ने कहा, गुजरात हाईकोर्ट ने सत्य और न्याय के लिए जिस कर्तव्य और निष्ठा से काम किया है, अपने संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जो तत्परता दिखाई है उसने भारतीय न्याय व्यवस्था और भारत के लोकतंत्र दोनों को ही मजबूत किया है। कहा कि हमारे संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारी, हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। हमारी न्यायपालिका ने संविधान की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है। सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। प्राचीन ग्रंथों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय समाज में रूल ऑफ लॉ, सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है न्यायमूलं सुराज्यं स्यात्. यानी, सुराज्य की जड़ ही न्याय में है।

मोदी ने कहा, हमारी न्याय व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी हो और समय से न्याय की गारंटी हो। सरकार भी इस दिशा में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, न्याय के जो आदर्श भारतीय संस्कारों का जो हिस्सा रहे हैं, वो न्याय हर भारतीय का अधिकार है। इसलिए न्यायपालिका और सरकार दोनों का ही दायित्व है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मिलकर एक ऐसी न्याय व्यवस्था खड़ा करे जो विश्व के लिए उदाहरण बने।

सुप्रीम कोर्ट की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सुनकर सभी का गौरव बढ़ता है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट खुद भी आज दुनिया में वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा सबसे ज्यादा सुनवाई करने वाला सुप्रीम कोर्ट बन गया है। डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेजी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है। आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट कम्प्यूटराइज्ड हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से वीडियो कांफ्रेंसिंग और टेली कांफ्रेंसिंग को लीगल सेंटिटी मिलने के बाद ही सभी अदालतों में ई-प्रोसिडिंग में तेजी आई है।