चिरांग। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह बृहस्पतिवार को असम के चिरांग जिले में ग्रेटर कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन (जीसीपीए) के प्रमुख अनंत रॉय के आवास पहुंचे। माना जा रहा है कि दोनों ने कूच-राजबंशी समुदाय के कल्याण से जुड़े मामलों पर चर्चा की।
खुद को बंगाल में कूचबिहार शाही परिवार का वंशज बताने वाले रॉय ने पत्रकारों को बताया कि केन्द्रीय गृह मंत्री ने निचले असम और पड़ोसी राज्य में अच्छी खासी आबादी वाले कूच-राजबंशी समुदाय की लंबित मांगों पर उनसे बातचीत की।
उन्होंने कहा कि शाह ने भरोसा दिया है कि राज्य विधानसभा चुनाव के बाद कूच-राजबंशी समुदाय के लिए ‘पैकेज’ की घोषणा की जाएगी।
रॉय ने कहा, ‘‘ बैठक में हमारी सभी लंबित मांगों पर चर्चा हुई और अब मैं यही कह सकता हूं कि कूच-राजबंशी समुदाय के अच्छे दिन आने वाले हैं।’’
शाह बुधवार रात गुवाहाटी पहुंचे थे। छातीपुर आवास पर आयोजित इस बैठक में शाह के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक हिमंत बिस्वा सरमा और असम भाजपा के अध्यक्ष रणजीत दास भी शामिल हुए।
जब रॉय से पूछा गया कि क्या विवादित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की प्रक्रिया और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों पर चर्चा नहीं हुई क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्रालय पहले ही ‘कूच-राजबंशी’ समुदाय को ‘मूल निवासी’ घोषित कर चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम इसी धरती के हैं…फिर हम कैसे बाहरी हो सकते हैं?इसके अलावा, गृह मंत्रालय द्वारा हमे मूल निवासी घोषित किया गया है।’’
कूच-राजबंशी समुदाय सहित असम के पांच अन्य समुदाय लंबे समय ने अनुसूचित जाति का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने के संबंध में किसी तरह की प्रगति के सवाल पर रॉय ने कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया।
असम और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के साथ गठबंधन के सवाल पर रॉय ने स्पष्ट किया, ‘‘ उनके संगठन को (समुदाय के) 18.50 लाख सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, वह पहले ही राजग का हिस्सा है।’’
उन्होंने कहा कि वह एक अन्य समूह-नारायणी सेना- का भी नेतृत्व करते हैं जिसमें करीब एक लाख स्वयंसेवक हैं।
जीसीपीए नेता ने आगे कहा कि कौशल विकास केंद्र कूच कमांडर-इन-चीफ बीर चिलराई के नाम से असम में स्थापित किया जाएगा।
रॉय ने अपने समुदाय के लोगों से संयम रखने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘ हमें भरोसा दिया गया है कि निश्चित समय में हमारी मांगों को पूरा किया जाएगा। इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता।’’
रॉय ने उम्मीद जताई कि पश्चिम बंगाल सरकार पड़ोसी राज्य में दर्ज विभिन्न मामलों को वापस ले लेगी, लेकिन उन्होंने इसकी विस्तृत जानकारी देने से मना कर दिया।
जीसीपीए के प्रमुख के अनुसार शाह को ‘‘पारम्परिक खाना परोसा गया, जिसमें पीठा और तिल के लड्डू शामिल थे और उन्हें खाना पसंद आया और उन्होंने और भी मांगा।’’
रॉय ने बताया कि उन्होंने दिल्ली यात्रा के दौरान शाह को उनके आवास पर आने का निमंत्रण दिया था। असम और पश्चिम बंगाल में अप्रैल और मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।