गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाशोत्सव का अवसर राष्ट्रीय कर्तव्य, भारत देगा उपयुक्त श्रद्धांजलि: मोदी


गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती को धूमधाम से मनाने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नवम गुरु ने राष्ट्र सेवा के साथ जीव सेवा का मार्ग दिखाया और समानता, समरसता तथा त्याग का मंत्र दिया, जिन्हें जीना और जन-जन तक पहुंचाना सभी का कर्तव्य है।


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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर के 400वें ‘प्रकाशोत्सव’ का अवसर एक राष्ट्रीय कर्तव्य है और इस मौके पर भारत उन्हें उपयुक्त श्रद्धांजलि देगा।

गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती को धूमधाम से मनाने के लिए गठित उच्चस्तरीय समिति की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नवम गुरु ने राष्ट्र सेवा के साथ जीव सेवा का मार्ग दिखाया और समानता, समरसता तथा त्याग का मंत्र दिया, जिन्हें जीना और जन-जन तक पहुंचाना सभी का कर्तव्य है।

वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से आयोजित इस बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित समिति के अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया।

इस दौरान शाह ने साल भर आयोजित किए जाने कार्यक्रमों के संबंध में सदस्यों की ओर से दिए गए सुझावों के बारे में एक प्रस्तुति भी दी।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘गुरु तेग बहादुर के प्रकाशोत्सव का अवसर एक आध्यात्मिक सौभाग्य भी है और एक राष्ट्रीय कर्तव्य भी है। इसमें हम अपना कुछ योगदान दे सकें…., यह गुरु कृपा हम सब को मिली है। नवम गुरु के तौर पर उनसे हम सभी प्रेरणा पाते हैं।’’

गुरु नानक देव से लेकर गुरु गोविंद सिंह तक की गुरु परंपरा को एक ‘‘संपूर्ण जीवन दर्शन’’ करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की नई पीढ़ी के लिए इसके बारे में जानना भी बहुत ही जरूरी है।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्व अगर जीवन की सार्थकता को समझना चाहे तो गुरुओं के जीवन को देखकर आसानी से समझ भी सकता है। उनके जीवन में त्याग भी था, तितिक्षा भी थी। उनके जीवन में ज्ञान भी था, प्रकाश भी था और आध्यात्मिक ऊंचाई भी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गुरु तेग बहादुर ने राष्ट्र सेवा के साथ जीव सेवा का मार्ग दिखाया है। उन्होंने समानता, समरसता, त्याग का मंत्र हमें दिया है। इन्हीं मंत्रों को खुद जीना और जन-जन तक पहुंचाना ही हम सब का कर्तव्य है।’’

प्रधानमंत्री ने साल भर होने वाले आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से अधिक से अधिक लोगों को जोड़े जाने का आह्वान करते हुए कहा कि इनसे नयी पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘कैसे सिख समाज सेवा के इतने बड़े-बड़े काम कर रहा है? कैसे हमारे गुरुद्वारे मानव सेवा के जागृत केंद्र हैं? यह संदेश अगर हम पूरे विश्व तक ले जाएंगे तो मानवता को बहुत बड़ी प्रेरणा दे सकेंगे।’’

उन्होंने इस बारे में शोध करने और दस्तावेज तैयार करने का आग्रह करते हुए गुरु परंपरा को विश्व के कोने-कोने तक ले जाने की अपील की।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाने का फैसला किया था। इस सिलसिले में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह सहित कई केंद्रीय मंत्री, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और देश भर के कई गणमान्य लोग इस समिति के सदस्य हैं।

यह समिति देश और दुनिया में गुरु तेग बहादुर की शिक्षा और उनके विचारों का प्रचार- प्रसार करने के लिए नीति और योजना बनाएगी और साथ ही इसके लिए कार्यक्रमों का भी अनुमोदन करेगी।



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