एशिया में हर साल कितने लोग छोड़ रहे अपना धर्म?

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दुनिया में धर्म परिवर्तन इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। धर्म परिवर्तन काफी बड़ा पैमाने पर हो रहा है। कई लोग खुद को किसी धर्म से अलग कर ले रहे हैं तो वहीं कुछ लोग धर्म ही छोड़ दे रहे हैं। दुनिया में धर्म परिवर्तन के अपने-अपने कारण और फायदे हैं। कई लोगों को धर्म परिवर्तन में बुराई नजर आती है तो वहीं कुछ लोग आर्थिक कारणों के लिए भी धर्मांतरण करते हैं। चलिए आज आपको बताते हैं कि एशिया में हर साल करीब कितने लोग अपना धर्म छोड़ रहे हैं।

एशिया में कई देश ऐसे हैं, जहां पर लोग तेजी के साथ धर्म परिवर्तन कर रहे हैं। साउथ कोरिया और हॉन्ग-कॉन्ग इस लिस्ट में पहले पायदान पर शामिल हैं। इस जगहों पर करीब 53 फीसदी लोगों ने अपना धर्म या तो पूरी तरह से छोड़ दिया है, या फिर वे किसी दूसरे धर्म में परिवर्तित हो गए हैं। इसमें किसी भी धर्म को न मानने वाले लोग भी शामिल हैं।

जापान में जहां करीब 32 फीसदी लोगों ने अपना धर्म बदला है तो वहीं ताइवान में यह आंकड़ा 42 प्रतिशत रहा है। इसकी तुलना अगर यूरोप में साल 2017 में किए गए सर्वे से करें तो वहां पर कोई ऐसा देश नहीं मिला है, जहां पर धर्म बदलने की दर 40 फीसदी से ज्यादा हो। वहीं पिछले साल अमेरिका में धर्म परिवर्तन के डाटा देखें तो वहां पर करीब 28 फीसदी ऐसे वयस्क हैं, जो कि अपने बचपन के धर्म को नहीं मानते हैं।

पूर्वी एशिया में लोगों के बीच नया धर्म अपनाने का चलन तेजी से बढ़ा है। जैसे कि दक्षिण कोरिया में ईसाई धर्म मानने वालों की संख्या में 12% की बढ़ोतरी हुई है, वहीं बौद्ध धर्म के अनुयायियों में 5% की बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं हॉन्गकॉन्ग में ईसाई धर्म और बौद्ध धर्म के अनुयायियों में 9% और 4% की बढ़त हुई है। धार्मिक पहचान बदलने वालों में वो लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं जो कि किसी भी धर्म को मानने से इनकार करते हैं। ऐसे लोगों की संख्या पूर्वी एशियाई देशों में ज्यादा है।

एशिया में नास्तिकों की बात करें तो हॉन्गकन्ग में यह संख्या 37% और साउथ कोरिया में 35% लोग किसी भी धर्म का पालन नहीं करते हैं। वहीं नॉर्वे में 30% और अमेरिका में 20% लोग कोई भी धर्म को नहीं मानते हैं।



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