रविवार की कविता : ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा…


हिन्दी साहित्य एवं अन्य आठ विषयों में परास्नातक समीक्षा सिंह जादौन देश की प्रतिष्ठित लेखिका, कवयित्री एवं विचारक हैं तथा गीत, गज़ल एवं छंदकार के रूप में काव्य मंचों पर स्थापित हैं।

हिन्दी सेवा समिति की उपाध्यक्ष, गीत गौरव, साहित्य गौरव व अन्य कई पुरस्कार प्राप्त समीक्षा सिंह आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से कई बार काव्यपाठ कर चुकी हैं। सुदर्शन न्यूज पर कवियों की हुँकार कार्यक्रम का सफल संचालन कर चुकी समीक्षा सिंह जादौन अन्य कई चैनलों पर काव्यपाठ कर चुकीं हैं।

मौलिक एवं राष्ट्रवादी कवयित्री समीक्षा सिंह जिनकी रचनाएं वही घिसी पिटी ओज की परंपरा से हटकर हिंदुत्व का पक्ष रखतीं हैं एवं राष्ट्र के हिन्दुओं को जाग्रत करने का कार्य करती हैं। शुद्ध साहित्यिक रचनाएँ एवं भावपक्ष की प्रधानता इनकी रचनाओं की विशेषता है।



विपदाओं से हार नहीं मानी जिसने
संत्रासों का भी उपहास उड़ाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है

कुछ बातों का मिथ्य जगत में पूजित है
कुछ बातों का सत्य सदा ही हारेगा
कुछ बातों से मन भी शंकित होता है
कुछ बातों को विश्व नहीं स्वीकारेगा
मत सोचो ये जग वाले क्या सोचेंगे
जग ने प्रभु को भी वनवास कराया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है

लूट गए उन पणबंधों का क्या रोना
छूट गए उन सम्बन्धों का क्या रोना
सभी अकेले आए, आकर जाएंगे
टूट गए उन अनुबन्धों का क्या रोना
ब्रह्म सत्य है तुम भी एक दिन जाओगे
इस जग में मिथ्या आवास सजाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है

जब तक जीवन है, तब तक है उत्कंठा
जब तक अंतिम स्वांस बची जिज्ञासा है
गहरे में जाते ही बाहर है आना
बाहर आकर मन जन्मों से प्यासा है
पापों की गठरी को ढोते फिरते हो
जीवन में कैसा अपग्रास लगाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है

कभी धार रोकी गंगा की तीरों से
सेतु बनाकर हमने सागर पार किया
करीं अस्थियाँ दान तभी तो वज्र बना
हमने जाने कितनों का उद्धार किया
दे आये हैं अभयदान हम देवों को
नहीं कभी हमने मधुमास मनाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है।