केरल सरकार ने अदालत से कहा- निजी अस्पतालों में CORONA के इलाज के लिए एक समान शुल्क प्रणाली


राज्य सरकार ने यह बाद तब अदालत में कही जब वह एक अर्जी पर सुनवायी कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि निजी अस्पताल और जांच केंद्र ‘‘महामारी की स्थिति और समाज में लोगों के भय का फायदा उठाने के लिए’’ अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं।



कोच्चि। ऐसे में जब केरल उच्च न्यायालय ने निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 रोगियों से अधिक शुल्क वसूलने को लेकर कुछ दिनों पहले ही चिंता जतायी थी, केरल सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने शुल्क पर सीमा लगायी है और इसके उपचार के लिए एक समान शुल्क प्रणाली पेश की है।

राज्य सरकार ने यह बाद तब अदालत में कही जब वह एक अर्जी पर सुनवायी कर रही थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि निजी अस्पताल और जांच केंद्र ‘‘महामारी की स्थिति और समाज में लोगों के भय का फायदा उठाने के लिए’’ अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं।

याचिकाकर्ता एवं पेशे से अधिवक्ता ने अदालत से निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के उपचार के लिए अत्यधिक शुल्क को सामान्य करने के लिए सुधारात्मक उपाय को लेकर निर्देश देने का अनुरोध किया था।

सोमवार को सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया कि उसने कोविड-19 के उपचार के लिए निजी अस्पतालों द्वारा वसूले जाने वाले शुल्क पर एक सीमा लगाने का फैसला किया है।

वकील ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में सोमवार को एक आदेश जारी किया है।

सरकारी आदेश के अनुसार, सामान्य वार्ड का शुल्क 2,645 रुपये प्रतिदिन होगा। इस शुल्क में पंजीकरण, बिस्तर, नर्सिंग और बोर्डिंग, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, ऑक्सीजन, एक्सरे, परामर्श, जांच आदि शामिल होगा।

न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की एक खंडपीठ ने कहा, ‘‘सभी निजी अस्पतालों को सरकारी आदेश के अनुसार उपचार देने के लिए बाध्य होंगे और किसी भी उल्लंघन से सख्ती से निपटा जाएगा।’’