
दुमका। झारखंड के दुमका में मसानजोर के आदिम पहड़िया जनजाति के एक परिवार में शुक्रवार को उस समय खुशियों का पारावार नहीं रहा जब पांच वर्ष की उम्र में तेरह वर्ष से बिछड़ा उनके घर का चिराग राजस्थान पुलिस के सहयोग से घर पहुंच गया।
पुलिस के अनुसार, राजस्थान के बीकानेर स्थित राजकीय सम्प्रेषण किशोर गृह ने दुमका जिले के मसानजोर थाना प्रभारी चन्द्रशेखर चौबे के सहयोग से परिवार से पांच वर्ष की आयु में बिछुड़े दीपक देहरी नामक एक लड़के को 13 वर्ष बाद यहां परिवार से मिलाने का काम किया।
मसानजोर थाना प्रभारी चन्द्रशेखर चौबे ने बताया कि दीपक देहरी आदिम जनजाति पहाड़िया समाज का लड़का है जो दुमका जिले के रानीश्वर थाना क्षेत्र अन्तर्गत बोड़ाबथान ग्राम का रहने वाला है।
उन्होंने बताया कि जब वह पांच वर्ष का था तब उसके पिता गोकुल देहरी की मौत हो गयी थी। उसके बाद दीपक अपनी मां के साथ मसानजोर थाना क्षेत्र के धावाडंगाल ग्राम में रहने लगा, जहां उसके मामा का घर है। कुछ समय वहां रहने के बाद दीपक की मां ने उसे मामा के घर में ही छोड़ दिया और दूसरा विवाह कर अन्यत्र चली गयी।
इसी बीच दीपक की मौसी धावाडंगाल पहुंची जो उत्तर प्रदेश के हरदोई में रहती थी और वह पांच वर्षीय दीपक को अपने साथ हरदोई ले गईं। चौबे ने बताया कुछ दिन बाद दीपक को धावाडंगाल की याद सताने लगी, जिस कारण उत्तर प्रदेश में वह एक ट्रेन में बैठ गया मगर वह झारखण्ड के बजाय राजस्थान के बीकानेर पहुंच गया और वहां भटकने लगा तो पुलिस ने उसे बाल कल्याण समिति के बालक गृह में पहुंचा दिया।