वरुण गांधी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग की

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नई दिल्ली। किसानों के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि खरीद केंद्रों में खुले आम भ्रष्टाचार हो रहा है और किसान अपना अनाज बिचौलियों को बेचने के लिए मजबूर हैं।

उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग करते हुए कहा कि जब तक यह नहीं किया जाता तब तक ‘‘मंडियों’’ (कृषि उत्पादों के बाजार) में किसानों का शोषण होता रहेगा। एमएसपी की कानूनी गारंटी देना तीन कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संघों की मांगों में से एक है।

गांधी ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने बरेली में एक मंडी में एक सरकारी अधिकारी से बात करते हुए अपनी एक वीडियो भी पोस्ट की। किसानों की परेशानियों का मुद्दा उठाते हुए गांधी को यह कहते हुए सुना गया कि यह राज्य के लिए ‘‘बड़ी शर्म’’ की बात है।

उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों को बहुत कम कीमत पर अपना अनाज बेचने पर मजबूर करने के लिए अधिकारियों और बिचौलियों के बीच ‘‘साठगांठ’’ पूरे देश में दिखायी देती है। उन्हें अधिकारी को यह चेतावनी देते हुए सुना गया कि यदि उनका प्रतिनिधि किसानों के साथ भ्रष्टाचार या दुर्व्यवहार का कोई सबूत देता है तो वह सरकार से कोई अनुरोध नहीं करेंगे बल्कि अदालत जाएंगे और ऐसे अधिकारियों को गिरफ्तार करवाएंगे।

भाजपा नेता ने आरोप लगाया, ‘‘राज्य में प्रत्येक खरीद केंद्र में घोर भ्रष्टाचार है जो पूरी तरह खुलकर हो रहा है। किसानों के अनाज को जबरन खारिज कर दिया जाता है जिसके बाद वे परेशान होकर बिचौलिए को अपना अनाज बेच देते हैं। प्रशासन को इससे फायदा होता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘किसान पहले ही खेती में बढ़ती लागत, उर्वरकों की कमी और खराब मौसम का सामना कर रहे हैं तो ऐसे में उन्हें उस व्यवस्था से परेशान करना जो यह सुनिश्चित करता है कि वे नुकसान उठा कर फसल बेचें, यह अगली पीढ़ी को खेतीबाड़ी से दूर करने और हमारे खाद्य तथा राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए खतरा बनने जा रह पाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अब, पुलिस द्वारा बैरिकेड्स हटाने की कवायद स्पष्ट रूप से हमारी बात को साबित करती है कि वह पुलिस थी, जिसने सड़कों को अवरुद्ध किया था, न कि किसानों ने। हमने कभी कोई समस्या नहीं खड़ी की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब तक, दिल्ली जाने का कोई आह्वान नहीं किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में भविष्य की कोई भी कार्रवाई तय की जाएगी।’’

दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार शाम को दिल्ली-रोहतक राजमार्ग पर टीकरी बॉर्डर पर विरोध स्थल पर लगाए गए बैरिकेड्स और तारों को हटाना शुरू कर दिया। इसी तरह की कार्रवाई शुक्रवार सुबह दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में शुरू की गई।

किसान नेता और राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के प्रतिनिधि अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि बैरिकेड्स हटाने के फैसले ने किसानों के रुख को सही ठहराया है और इससे सीमाओं पर यातायात की आवाजाही आसान होगी। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 11 महीनों से, हम कह रहे हैं कि किसानों ने कभी सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया क्योंकि हम केवल कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं। आज हम सही साबित हुए हैं। यह अच्छा है कि यातायात अब सीमाओं पर आगे बढ़ सकेगा।’’

टीकरी बॉर्डर पर एक अन्य किसान नेता और एसकेएम के सदस्य सुदेश गोयत ने दिल्ली पुलिस पर वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि अवरोधकों को हटाया जा रहा है और अब यातायात चल सकेगा। यह यहां की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में भी मदद करेगा क्योंकि पेट्रोल पंप, दुकानें जो सड़क बंद होने के कारण 11 महीने से बंद हैं, अब फिर से खुलेंगी।’’

किसान नेताओं ने यह भी उम्मीद जताई कि केंद्र कृषि कानूनों पर गतिरोध को दूर करने के लिए किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित करेगा।

बीकेयू के प्रवक्ता सौरभ उपाध्याय ने कहा कि किसान दिल्ली जाना चाहते हैं लेकिन अंतिम फैसला एसकेएम करेगा। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर सरकार चाहती है कि गतिरोध समाप्त हो, तो उसे अभी किसानों से बात करनी चाहिए और हम इसके लिए तैयार हैं। लेकिन अगर वह चाहती है कि किसानों का आंदोलन जारी रहे तो हम इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि विरोध शुरू हुए 11 महीने हो चुके हैं।’’

गौरतलब है कि केन्द्र के तीन कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की मांग को लेकर किसान 26 नवम्बर, 2020 से दिल्ली की तीन सीमाओं टीकरी, सिंघू और गाजीपुर पर आंदोलन कर रहे हैं।