बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने हिंदुओं पर हो रही हिंसा को राजनीतिक हिंसा बताया


स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलिश केंद्र के अनुसार, जनवरी और नवंबर 2024 के बीच बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक घटनाओं की संख्या 138 है, जिसमें 368 घरों पर हमला हुआ और 82 लोग घायल हुए।


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नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते लगातार खराब होते चले जा रहे हैं। अब एक बार फिर बांग्लादेश ने हिंदुओं पर हो रही हिंसा को राजनीतिक हिंसा बताया है। इससे पहले भारत सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर आंकड़े पेश किए थे, जिसे अब युनूस सरकार मानने को तैयार नहीं है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारतीय विदेश मंत्रालय के उन आंकड़ों पर सवाल उठाया है जिसमें हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की बात कही गई थी। बांग्लादेश ने कहा, “विदेश मंत्रालय ने आज बताया कि बांग्लादेश में वर्ष 2022 में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की 47, 2023 में 302 और 2024 में 2,200 घटनाएं हुईं। यह आंकड़ा गलत और काफी बढ़ा-चढ़ा पेश किया गया है। स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलिश केंद्र के अनुसार, जनवरी और नवंबर 2024 के बीच बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसक घटनाओं की संख्या 138 है, जिसमें 368 घरों पर हमला हुआ और 82 लोग घायल हुए।”

बांग्लादेश के ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब बांग्लादेश के मैमनसिंह और दिनाजपुर के तीन मंदिरों में उपद्रवियों ने मूर्तियों को तोड़ दिया है। दिनाजपुर के मैमनसिंह में 8 मूर्तियों को तोड़ा गया। मैमनसिंह के हलुआघाट उपजिला में कल और आज तड़के दो मंदिरों की तीन मूर्तियां तोड़ दी गईं।

बांग्लादेश सरकार ने कहा, “बांग्लादेश की अंतरिम सरकार सूचित की गई हर घटना की जांच कर रही है और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। पुलिस मुख्यालय के अनुसार, 4 अगस्त से 10 दिसंबर के बीच कम से कम 97 मामले दर्ज किए गए हैं और अगस्त से धार्मिक अल्पसंख्यकों पर कथित हमलों के लिए 75 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।”

यूनुस सरकार ने कहा, “इनमें से कई घटनाएं 5 अगस्त से 8 अगस्त के बीच हुईं जब कोई सरकार नहीं थी। इनमें से ज्यादातर हमले राजनीतिक प्रकृति के थे। हम सभी से गुजारिश करते हैं कि वे इस तरह के हेट क्राइम के बारे में गलत जानकारी देने से बचें।”

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन ने संसद में एक लिखित जवाब में बताया कि इस साल आठ दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2200 हमले हुए, जबकि पाकिस्तान में ऐसे 112 हमले हुए हैं।