(यह विशेष लेख फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हुए आतंकवादी हमले के संदर्भ में लिखा गया था। 40 सैनिकों और उनके पीछे बचे परिवारों के साथ हुए उस…
ब्रिटिश शासकों, इतिहासकारों, अध्येताओं, लेखकों, लोकगीतकारों ने 10 मई 1857 को मेरठ से शुरू हुए सिपाही विद्रोह को कई नामों से अभिहित किया है। नोमन्क्लेचर की यह विविधता विद्रोह के प्रति लोगों के…
सरकारें गोली चला सकती हैं। चुनावों में धांधली भी कर सकती हैं। लेकिन सरकार के फैसलों से असहमत नागरिकों के पास अपने प्राणों की बाजी लगा कर प्रतिरोध करने का रास्ता हमेशा उपलब्ध…
सभी जानते हैं आप में विद्रोह का झंडा उठाने वाले लोग लोकसभा का चुनाव जीत जाते या इन्हें दिल्ली से राज्यसभा में भेज दिया जाता या पार्टी में अहम पद सौंप दिया जाता तो…
ओवैसी राजनीति में अल्पसंख्यक सांप्रदायिकता की एक अलग पट्टी तैयार करने की कोशिश में लगे हैं। अल्पसंख्यक राजनीति का यह ढब नरम इस्लामत्व का आधार लेकर चलेगा अथवा कट्टर इस्लामत्व का, या दोनों…
नव उदारवाद के लिए इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है कि उसके शिकार मान रहे हैं कि कोठी-कार वालों के लिए पिछले 65 साल में कुछ नहीं हुआ!
यह कहना गलत नहीं होगा कि 2013 से अभी तक दिल्ली में आप और भाजपा की साझी सत्ता रही है। इसलिए यह कहना कि इन चुनावों में आप की जगह भाजपा की सरकार…
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने दिल्ली के विकास की एक नई अभिकल्पना की और उसे अंजाम देना शुरु किया। आज जो दिल्ली हमारे सामने है, वह शीला दीक्षित की दिल्ली है। 'टूटे…
सबसे पहले जगजीत सिंह डल्लेवाल के मरण-व्रत को तुड़वा कर उनकी जान बचाई जानी चाहिए। जान बचाने का मतलब आंदोलन समाप्त करना नहीं है। संघर्ष जारी रहे इसका नया रास्ता खोजा जा सकता…
नरेंद्र मोदी ने विचलन को ही नियम बना दिया। हालांकि, इसमें मोदी का कोई बड़ा कमाल नहीं था। मूलभूत विचलन 1991 में हो चुका था, जब देश की अर्थव्यवस्था को संविधान और स्वतंत्रता…
गांधी द्वारा ब्रिटिश साम्राज्यवाद से भारत की मुक्ति के लिए ‘करो या मरो’ के आह्वान के साथ शुरू किया गया भारत छोड़ो आंदोलन अथवा अगस्त-क्रांति भी भारत की एक बड़ी घटना थी।
भाजपा के लिए भी यह एक अवसर है कि वह अपने को लोकतांत्रिक राजनीतिक पार्टी के रूप में फिर से अर्जित करे। अगर नई सरकार में संविधान, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों के हनन…
1857 के विद्रोह पर करीब 75 साल बाद लिखे गए पहले हिंदी उपन्यास का शीर्षक भी ‘गदर’ है। अमृतलाल नागर ने विद्रोह संबंधी ब्योरे एकत्रित किए तो उस पुस्तक का नाम ‘गदर के…
बुद्धिजीवी-वर्ग की आलोचना में किशन पटनायक काफी निर्मम हैं। लेकिन उसे ही वे समाज और सभ्यता का नियामक भी मानते हैं। लिहाजा, उनके चिंतन में यह आशा और प्रेरणा निहित है कि बुद्धिजीवी-वर्ग…
मनमोहन सिंह के जिन दो बयानों की चर्चा है, उनमें पहला दिसंबर 2006 का है, और दूसरा अप्रैल 2009 का है। यानि ये दोनों बयान सच्चर कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद के…
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और आम आदमी पार्टी के गठन के साथ राजनीति में यह प्रवृत्ति धूम-धाम से स्थापित की गई। जनता के राजनीतिक विवेक पर बोले गए उस जबरदस्त हमले में अभी का…
यह निहायत अफसोस की बात है कि सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सर्वोच्च न्यायधीश को पत्र लिख कर मांग की है कि वे स्वत: संज्ञान लेकर “पापी” (एरींग) किसानों, जो जबरदस्ती दिल्ली में घुस कर दिल्ली…
कारपोरेट-कम्यूनल गठजोड़ की राजनीति हर पल नई सनसनी पैदा करते हुए आगे बढ़ती है। ताकि समाज विकल्प के विचार और संभावना के प्रति विस्मृति का शिकार बना रहे। यह बौद्धिक-वर्ग की भूमिका है…
कुदरत अपना खजाना सब पर लुटाती है। मनुष्यता की सभी खूबियां सभी को बांटती है। कोई भी ताला उन्हें बंद नहीं कर सकता। सुनते आए हैं राम कुदरत में रमे हुए हैं –…
तुलसी ने रामचरित के माध्यम से जीवन के कुछ ऐसे व्यावहारिक आदर्शों की प्रतिष्ठा भी की जिनके चलते जनमानस में उनके राम को इस कदर लोकप्रियता हासिल हुई है। डॉ. लोहिया ने यह माना…
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का मुकाबला करने के लिए विपक्ष ने ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूजिव अलाएंस) नाम से गठबंधन बनाया है। कांग्रेस से अलग मोर्चा बनाने कि संभावना अब नहीं लगती।…
गांधी-विशेषज्ञों को यह स्पष्ट करना है कि क्या गांधी ने फिलिस्तीन–इजराइल मामले में अरबों की हिंसा पर चुप्पी साधते हुए केवल यहूदियों को अहिंसा का उपदेश दिया है? क्या वे मुस्लिम-यहूदी विवाद में “महात्मा” के आसन…
दुनिया के अपेक्षाकृत तटस्थ और शांतिप्रिय माने जाने वाले देशों का भी बच्चों की लगातार जारी हत्याओं पर निर्णायक स्टेंड नहीं है। गांधी का देश संयुक्त राष्ट्र में यह नहीं कह पाया कि हमास को निपटाने से पहले…
एक और बात गौर की जा सकती है, अंग्रेजी नहीं जानने वाले लोग इनकी दुनिया के सदस्य नहीं बन सकते; उन्हें साम्राज्यवादी चाल के इन प्यादों का प्यादा बन कर रहना होता है। जनता की…
यह सही है कि समाज में नफरत, हिंसा और हत्याओं के अनवरत चक्र से चिंतित होकर सत्ता के शीर्ष पर स्थित प्रधानमंत्री से अविलंब हस्तक्षेप की गुहार लगाई जाए। अखबार ने वही किया…