बिहार विस चुनाव के तीसरे चरण में 31 प्रतिशत उम्मीदवारों ने खुद के खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं: एडीआर


रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 उम्मीदवारों ने खुद के खिलाफ हत्या (आईपीसी धारा-302) से संबंधित मामलों की घोषणा की है और 73 उम्मीदवारों ने खुद के खिलाफ हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा -307) से संबंधित मामले घोषित किए हैं। रिपोर्ट के निष्कर्षों को एडीआर ने एक प्रेस वार्ता में सामने रखा।


भाषा भाषा
बिहार चुनाव 2020 Updated On :

नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में चुनाव लड़ रहे 1,195 उम्मीदवारों में से 31 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है। चुनाव अधिकार समूह एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट के अनुसार लगभग 282 या 24 प्रतिशत ने अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है। गंभीर आपराधिक मामले गैर-जमानती अपराध हैं जिनमें पांच साल से अधिक की कैद हो सकती है। इसके अनुसार इनमें से 361 या 30 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपनी वित्तीय संपत्ति करोड़ों रुपये की बताई है।

रिपोर्ट के अनुसार विश्लेषण किए गए 1,195 उम्मीदवारों में से, 371 या 31 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषण की है ।

इसके अनुसार राजद से विश्लेषण किए गए 44 उम्मीदवारों में से 32 (73 फीसदी) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं और उनमें से 22 (50 फीसदी) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है।

रिपोर्ट के अनुसार भाजपा से विश्लेषण किए गए 34 उम्मीदवारों में से लगभग 26 (76 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं और 22 (65 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है ।

इसमें कहा गया है कि कांग्रेस से विश्लेषण किए गए 25 उम्मीदवारों में से 19 (76 प्रतिशत) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं और 14 (56 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले होने की घोषणा की है।

लोजपा से 42 उम्मीदवारों में से लगभग 18 (43 प्रतिशत), जद (यू)से 37 उम्मीदवारों में से 21 (57 प्रतिशत) और बसपा से 19 उम्मीदवारों में से पांच (26 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ आपराधिक मामले होने की घोषणा की है ।

लोजपा से विश्लेषण किए गए 42 उम्मीदवारों में से ग्यारह (26 प्रतिशत), जद (यू) से विश्लेषण किए गए 37 उम्मीदवारों में से 11 (30 प्रतिशत) और बसपा से विश्लेषण किए गए 19 उम्मीदवारों में से 4 (21 प्रतिशत) ने अपने हलफनामों में खुद के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामलों की घोषणा की है।

रिपोर्ट के अनुसार लगभग 37 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों की घोषणा की है और उनमें से पांच के खिलाफ बलात्कार से संबंधित मामले दर्ज होने का उल्लेख है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 उम्मीदवारों ने खुद के खिलाफ हत्या (आईपीसी धारा-302) से संबंधित मामलों की घोषणा की है और 73 उम्मीदवारों ने खुद के खिलाफ हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा -307) से संबंधित मामले घोषित किए हैं। रिपोर्ट के निष्कर्षों को एडीआर ने एक प्रेस वार्ता में सामने रखा।

एडीआर और ‘नेशनल इलेक्शन वॉच’ के संस्थापक सदस्य एवं ट्रस्टी जगदीप छोकर ने कहा कि उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का ‘‘कोई प्रभाव नहीं’’ पड़ा है क्योंकि उन्होंने आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी परंपरा का फिर से अनुसरण किया है।