आंतरिक सर्वेक्षण के आधार पर कट सकता हैं भाजपा-राजद के कई विधायकों का टिकट

भाजपा के मौजूदा 53 विधायकों में से 30 से अधिक विधयकों को दोबारा उम्मीदवार नहीं बनाने की सिफारिश मंडल अध्यक्षों ने दी है। साफ कहा है कि अगर पार्टी को जीत हासिल करना है तो चेहरा बदल देना चाहिए।

पटना। बिहार के दोनों गठबंधनों में सीटों की स्थिति साफ होते ही उम्मीदवारों के नाम तय होने लगे हैं। पार्टी सांगठनिक सर्वेक्षण के आधार पर भाजपा और राजद दोनों के अनेक विधायकों के टिकट से वंचित होने की आशंका उत्पन्न हो गई है। आंतरिक सर्वेक्षण में इनके जीतने की संभावना काफी कम बताई गई है। ऐसे विधायकों की संख्या में भाजपा में करीब 30 और राजद में करीब 25 बताई जा रही है।

भाजपा के मंडल अध्यक्षों ने पार्टी के तीस विधायकों को फिर उम्मीदवार नहीं बनाने की सिफारिश की है। कहा है कि अगर उन्हें उम्मीदवार बनाया जाता है तो पार्टी के जीतने की संभावना कम ही होगी। मंडल अध्यक्षों ने उन उम्मीदवारों को भी टिकट नहीं देने की सिफारिश की है जो पिछले चुनाव में 25-30 हजार मतों से हार गए थे।

भाजपा में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया गठबंधन का स्वरुप उभरने के पहले से चल रही है। खासकर उन सीटों पर जहां एनडीए में कोई विवाद नहीं है। इन क्षेत्रों में पार्टी नेताओं को प्रचार का काम करने का निर्देश भी दे दिया गया है। इसी सिलसिले में पार्टी ने मंडल अध्यक्षों से पार्टी उम्मीदवारों के बारे में उनकी राय मांगी। भाजपा के 45 संगठनात्मक जिला के अंतर्गत लगभग 11 सौ मंडल अध्यक्ष हैं।

पार्टी सूत्रों के अनुसार पार्टी के मौजूदा 53 विधायकों में से 30 से अधिक विधयकों को दोबारा उम्मीदवार नहीं बनाने की सिफारिश मंडल अध्यक्षों ने दी है। साफ कहा है कि अगर पार्टी को जीत हासिल करना है तो चेहरा बदल देना चाहिए। हालांकि मंडल अध्यक्षों ने यह भी कहा है कि भाजपा समर्थक मतदाताओं में पार्टी के प्रति निष्ठा बरकरार है, पर विधायकों से गहरी नाराजगी है।

मौजूदा विधायकों के खिलाफ आम भाजपा समर्थकों में मौजूद नाराजगी का एक नजारा पिछले दिनों प्रदेश भाजपा कार्यालय में दिखा जब लखीसराय के विधायक व श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ क्षेत्र से आए कार्यकर्ताओं ने जमकर नारेबाजी की। इसी तरह दानापुर विधायक के खिलाफ भी नारेबाजी हो चुकी है। बांकीपुर में एक भाजपा नेत्री बड़े-बड़े पोस्टर-बैनर लगाकर स्वयं को उम्मीदवार घोषित करने में लगी हैं। कुम्हरार में भी यही स्थिति है।

इसी तरह राजद के दो दर्जन से अधिक विधायकों के टिकट कटने के आसार हैं। इन विधायकों के बारे में पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण में अच्छी रिपोर्ट नहीं आई है। इनमें पहली बार विधायक बने लोगों की संख्या अधिक है। इनके बारे में पार्टी के शीर्ष स्तर पर मंथन चल रहा है। राजद ने पिछले दिनों एक संस्था से क्षेत्रवार सर्वेक्षण कराया था। इसमें मौजूदा विधायकों के साथ-साथ वे सीटें भी शामिल थी जिनमें पार्टी इसबार चुनाव लड़ना चाहती है।

उल्लेखनीय है कि राजद ने 2015 में राजद ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 80 सीटों पर वह जीती थी। इनमें से पांच विधायक पिछले दिनों पार्टी बदलकर जदयू में चले गए हैं। अब 75 विधायक बचे हैं। इनमें से दो दर्जन की रिपोर्ट अच्छी नहीं रहने से पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है।

वैसे पार्टी टिकटों का बंटवारा आरंभ हो चुका है। अभी किस पार्टी ने कितने उम्मीदवारों को पार्टी का चुनाव चिन्ह दे दिया है, यह तो पता नहीं चला है। पर उम्मीद है कि देर रात तक कुछ पार्टियों के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी जाएगी। भाकपा-माले ने महागठबंधन में अपने हिस्से में आई 19 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इन 19 उम्मीदवारों में केवल दो मुसलमान होने की आलोचना जरूर हो रही है, पर पार्टी ने केवल समर्पित कार्यकर्ताओं को उम्मीदवार बनाया है, इसमें कोई शक नहीं।

First Published on: October 6, 2020 7:32 AM
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