बिहार चुनाव: भाजपा और जदयू के बीच 56 विधानसभा सीटों पर पेंच फंसा


भाजपा और जदयू के बीच 56 सीटों पर पेंच फंसा है। बीते विधानसभा चुनाव में इनमें से 49 सीटों पर दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे को पटखनी दी थी। इनके साथ ही हाल में राजद छोड़कर जदयू में आए 7 विधायकों की सीटें हैं, इन सीटों पर किसकी दावेदारी हो, यह मामला फंसा हुआ है। इनमें से 27 सीटों पर जदयू ने भाजपा को हराया था तो भाजपा ने 22 सीटों पर जदयू को पटखनी दी थी।


अमरनाथ झा
बिहार चुनाव 2020 Updated On :

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर असली संकट एनडीए में है। केवल चिराग पासवान का अड़ियल रवैया ही समस्या नहीं है। संकट भाजपा और जदयू के बीच में भी है। पिछले चुनाव में दोनों पार्टियां आमने-सामने अलग-अलग गठबंधनों में थी। कई सीटों पर मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच हुआ था। उन सीटों पर किस पार्टी का उम्मीदवार हो, यह तय करना आसान नहीं है। इस तरह सिर्फ सीटों की संख्या की समस्या नहीं है, पार्टी के प्रभाव का आकलन करने का सवाल भी है।

चिराग पासवान गठबंधन में कम से कम 43 सीटों पर दावा कर रहे हैं, अगर उनकी यह मांग नहीं मानी गई तो 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार देने की धमकी दे रहे हैं, बाकी 100 सीट भाजपा के लिए छोड़ेंगे। उनका हिसाब साफ है कि भाजपा और जदयू सौ-सौ सीटों पर लड़े, उनकी पार्टी लोजपा 43 सीटों पर लड़ेगी। पर जदयू इसके लिए कतई तैयार नहीं है। इसे लेकर तीनों पार्टियों में अलग-अलग कई दौर की बातचीत हुई है।

जदयू से बातचीत करने पटना आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और चुनाव प्रभारी देवेन्द्र फडवीस दिल्ली लौट गए हैं। अब दिल्ली में बातचीत होगी। इसबीच दिल्ली में लोजपा की भी आज बैठक हो रही है और संभावना जताई जा रही है कि बैठक के बाद चिराग अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकते हैं। गठबंधन में लोजपा की एक समस्या यह भी है कि उसे मुस्लिम बहुल सीटें देने की पेशकश की जा रही है जिनमें भाजपा से गठबंधन की वजह से जीतने की संभावना स्वाभाविक रूप से कम होगी।

भाजपा और जदयू के बीच 56 सीटों पर पेंच फंसा है। बीते विधानसभा चुनाव में इनमें से 49 सीटों पर दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे को पटखनी दी थी। इनके साथ ही हाल में राजद छोड़कर जदयू में आए 7 विधायकों की सीटें हैं, इन सीटों पर किसकी दावेदारी हो, यह मामला फंसा हुआ है। इनमें से 27 सीटों पर जदयू ने भाजपा को हराया था तो भाजपा ने 22 सीटों पर जदयू को पटखनी दी थी। राजद से आए सात विधायकों की सीटों पर पहले भाजपा जीतती रही है, पर 2015 में जदयू-राजद के साथ होने से भाजपा हार गई थी। इसलिए इन सीटों पर किसकी उम्मीदवारी हो, यह समस्या है। वैसे संभावना है कि सीटों के बंटवारे में 2010 की स्थिति को अधार बनाया जाए।

इस समस्या को सुलझाने के लिए भाजपा के केन्द्रीय नेता दिल्ली से पटना आए थे। पर बात नहीं बनने पर वे वापस लौट गए हैं। अब आगे की बातचीत दिल्ली में होना है।