बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई, पर दोनों प्रतियोगी गठबंधनों में सीटों का बंटवारा नहीं हो सका बल्कि गठबंधन दरार दिखने लगी है। एनडीए में चिराग पासवान विद्रोही मुद्रा में हैं तो महागठबंधन में उपेन्द्र कुशवाहा अपनी अलग राह बनाने के फेर में लगे हैं। दोनों की पार्टियों ने उन्हें गठबंधन के बारे में फैसला करने का पूरा अधिकार दे दिया है। हालांकि भाजपा ने चिराग पासवान से और राजद ने उपेन्द्र कुशवाहा से संयम बरतने का अनुरोध किया है।
चिराग पासवान की लोजपा पहले ही साफ कर चुकी है कि उसका गठबंधन भाजपा से है और वह नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है। इस पर भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम और नीतीश मुख्यमंत्री के उम्मीदवार का फॉर्मूला निकाला। इससे तो लोजपा सहमत है, पर सीटों की संख्या को लेकर वह संतुष्ट नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जदयू ने 115 सीटों पर दावा ठोंका है और भाजपा के लिए 128 सीटें छोड़ी है। लोजपा को इन्हीं 128 सीटों में हिस्सेदारी करनी है। सूत्रों के अनुसार भाजपा विधानसभा का 25 सीटें और विधान परिषद की मनोयन कोटे की दो सीटें देने के लिए तैयार है। पर लोजपा को यह मंजूर नहीं है, वह विधानसभा की 35 सीटें चाहती है।
उधर महागठबंधन में रालोसपा ने मोर्चा खोल दिया है। रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा है कि मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर महागठबंधन का जो चेहरा सामने हैं, वह नीतीश कुमार के सामने कहीं से नहीं टिकता, इसलिए मुख्यमंत्री की चेहरा बदलने की जरूरत है। यह तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सीधा हमला है।
वैसे सूत्रों का कहना है कि असली लड़ाई सीटों की हिस्सेदारी को लेकर है। कुशवाहा इस सप्ताह दो बार तेजस्वी से मिले। पर सीटों की संख्या को लेकर उनमें बात बनी नहीं। बताया जाता है कि रालोसपा लगभग 36 सीटें चाहती है, जबकि राजद उसे 10 सीटों से अधिक सीटें देने के लिए तैयार नहीं है।
उल्लेखनीय है कि चिराग पासवान की भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद सबकुछ ठीक हो जाने की उम्मीद जताई जा रही थी। पर ऐसा हुआ नहीं, तल्खी कमी हुई नहीं और चिराग पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बयान देना जारी रखा। इससे समझा जा रहा है कि वे एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ना चाहते हैं। उनकी पार्टी की संसदीय बोर्ड ने गठबंधन के बारे में हर तरह का निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर दिया है।
यही हालत रालेसपा की भी है। पार्टी की कार्यकारिणी ने अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा को गठबंधन के बारे में निर्णय लेना के लिए अधिकृत कर दिया है। अब चुनावों के तारीखों की घोषणा हो जाने के बाद गठबंधनों की स्थिति जल्द साफ हो जाने की उम्मीद की जा रही है।