बिहार में महागठबंधन : राजद-कांग्रेस-वामदलों में समझौता संपन्न

वर्तमान विधानसभा में माले के तीन विधायक हैं। पार्टी की सांगठनिक ताकत करीब 50 विधानसभा क्षेत्रों में है। आरंभ में उसने 53 सीटों की मांग की थी, पर गठबंधन की खातिर कम से कम 20 सीटों की मांग लेकर अड़ गई।

पटना। विपक्षी महागठबंधन की पार्टियों- राजद, कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीटों का समझौता हो जाने की खबर है। समझौता के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल 146 सीटों पर अपने उम्मीदवार देगी। कांग्रेस के उम्मीदवार 68 सीटों पर होंगे और वाम दलों के हिस्से में 29 सीटें आई हैं। राजद अपनी सीटों में से मुकेश साहनी की वीआईपी और हेमंत सोरेन की जेएमएम के कुछ सीटे देगीं। काफी इंतजार और कसमकश के बाद बृहस्पतिवार की रात सीटों का बंटवारा संपन्न हुआ।

राजद नेता शक्ति सिंह यादव ने बताया कि सीटों के इस समझौता की औपचारिक घोषणा एक-दो दिन में साझा प्रेसकांफ्रेस में किया जाएगा। सीटों के बंटवारे की बातचीत देर रात तक चली। भाकपा, माले के दिपंकर भट्टाचार्य और राजद के तेजस्वी योदव के बीच चली लंबी बातचीत के बाद यह समझौता संपन्न हो सका। इसके अलावा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के भी हस्तक्षेप किया जिससे प्रदेश कांग्रेस के रुख में नरमी आई। कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि सीटों का यह बंटवारे अंतिम है और इसकी औपचारिक घोषणा एक-दो दिन में कर दी जाएगी।

समझौते के अनुसार वामदलों में माकपा को चार सीटें, भाकपा को छह सीटें और भाकपा-माले को 19 सीटें मिली हैं। वामदल एनडीए को हराने के लिए महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए उत्सुक थी। माले नेता धीरेन्द्र झा ने बताया कि पार्टी पटना, भोजपुर औऱ सिवान की तीन-तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा अन्य जिलों के उन सीटों पर पार्टी उम्मीदवार देगी जहां भूमिहीन, छोटे किसान और दूसरे वंचित समुदायों में पार्टी का समर्थन का व्यापक आधार है। पहले 12 से अधिक सीट नहीं देने के राजद के अडियल रवैए से उपकर पार्टी ने अपने 30 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी। पर बाद में तेजस्वी यादव ने पार्टी के आला नेताओं से बात की और सीटों के बंटवारे की बातचीत फिर से आरंभ हुई। दो दौर की बातचीत के बाद यह समझौता संपन्न हो सका। वर्तमान विधानसभा में माले के तीन विधायक हैं। पार्टी की सांगठनिक ताकत करीब 50 विधानसभा क्षेत्रों में है। आरंभ में उसने 53 सीटों की मांग की थी, पर गठबंधन की खातिर कम से कम 20 सीटों की मांग लेकर अड़ गई।

पिछले विधान सभा चुनाव 2015 में राजद प्रमुख लालू यादव और जदयू के नीतीश कुमार ने हाथ मिला लिया था और कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरी थी। यह गठबंधन भाजपा गठबंधन को परास्त कर विजयी हुआ। पर 2017 में नीतीश कुमार ने राजद को छोड़ दिया और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना लिया।

इसबीच, नीतीश कुमार की लोकप्रियता में काफी घटने के बारे में कई सर्वे सामने आए हैं, लोग नाराज हैं और सत्ता विरोधी भावना साफ दिखने लगी है। बेरोजगारी, मूल्यवृध्दि, प्रवासी मजदूरों की वापसी इत्यादि मसलों का असर अन चुनाव पर पड़ना स्वाभाविक है। वामदलों के साथ मिलकर महागठबंधन लोगों के सामने एक विकल्प प्रस्तुत करने का दावा कर रही है।

First Published on: October 3, 2020 9:54 AM
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