लालू के लाल ही नहीं, टिकट के लिए नेता-पुत्रों की है लंबी कतार

अमरनाथ झा
बिहार चुनाव 2020 Updated On :

पटना। बिहार विधान सभा चुनावों के लिए पार्टी टिकटों का वितरण अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन टिकट के अभिलाषियों की कतार में एक उल्लेखनीय रुझान यह दिख रहा है कि इस बार नेता-पुत्रों में नेता बनने की अभिलाषा कुछ अधिक है।

इस बार चुनाव मैदान में केवल लालू प्रसाद के दोनों बेटे ही नहीं, राजद से लेकर भाजपा तक के कम से कम 40 नेताओं के पुत्र-पुत्रियों के चुनाव लड़ने की संभावना है। लालू का बेटा तेजस्वी तो मुख्यमंत्री पद का दावेदार है। तीन प्रमुख पार्टियों-जदयू, राजद और कांग्रेस में आला अधिकारियों के पुत्र पार्टी टिकट के अभिलाषी हैं। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के बेटे इस कतार में हैं।

वशिष्ठ नारायण सिंह अपने बेटे सोनू सिंह के लिए आरा चुनाव क्षेत्र से टिकट चाहते हैं। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अपने बेटे सुधाकर सिंह के लिए रामगढ़ क्षेत्र से टिकट चाहते हैं तो मदन मोहन झा अपने बेटे माधव झा के लिए दरभंगा के बेनीपुर क्षेत्र से टिकट चाहते हैं। अपनी संतति को नेता बनाने की चाहत केवल पार्टी प्रमुखों की ही नहीं, अनेक सांसद, विधायक, पूर्व सांसद इस दौड़ में शामिल हैं।

भाजपा के नेता भी इसमें पीछे नहीं हैं। केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे अपने पुत्र अर्जित शास्वत के टिकट के लिए प्रयासरत हैं। अर्जित ने 2015 में भी भागलपुर से चुनाव लड़ा था और पराजित हुए थे। सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद के पुत्र संजीव चौरसिया दीघा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और उन्हें फिर टिकट मिलने की पूरी संभावना है। पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र के सांसद रामकृपाल यादव अपने बेटे अभिमन्यु के लिए टिकट चाहते हैं तो राज्य सभा सदस्य गोपाल नारायण सिंह और पूर्व मंत्री अवधेश नारायण सिंह भी अपने बेटों के लिए टिकट चाहते हैं। सिवान के विधायक व्यासदेव प्रसाद और सासाराम के सांसद छेदी पासवान भी अपने पुत्रों के लिए टिकट चाहते हैं।

हालांकि विधायक संजीव चौरसिया कहते हैं कि केवल राजनीतिक घराने का होने से जीत की गारंटी नहीं होती। केवल उन्हीं लोगों को पार्टी टिकट मिलनी चाहिए जो पहले से राजनीति में सक्रिय हैं। वैसे टिकट मिल जाने भर से किसी के राजनेता बन जाना संभव नहीं है। यह आपके कार्य और समर्पण पर निर्भर करता है, वैसे न जाने कितने आए और लापता हो गए। यह रात-दिन का काम है। अब लोग केवल उन्हें पसंद करते हैं जो हमेशा उनके बीच मौजूद रहते हों।

राजद में वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के पुत्र राहुल तिवारी भोजपुर के शाहपुर क्षेत्र से टिकट चाहते हैं जहां से वे अभी विधायक हैं। महाराजगंज से चार बार सांसद रहे प्रभुनाथ सिंह अपनी पुत्री मधु सिंह के लिए टिकट चाहते हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांति सिंह अपने पुत्र प्रिंस कुमार के लिए टिकट चाहती हैं।

इस कतार में जदयू और कांग्रेस भी अधिक पीछे नहीं हैं। जदयू प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ट नारायण सिंह, पूर्व सांसद मीना सिंह, राधा चरण साह अपने बेटों के लिए टिकट चाहने वालों की कतार में हैं। पूर्व सांसद व बाहुबली सूरजभान सिंह अपने भाई चंदन सिंह के लिए टिकट चाहते हैं। सूरजभान की पत्नी वीणा सिंह मुंगेर से लोजपा की सांसद हैं। विधायक हरिनारायण सिंह अपने बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं क्योंकि वे काफी वृद्ध हो गए हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री बीपी मंडल के पौत्र निखिल मंडल मधेपुरा क्षेत्र से पहली बार चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। स्व. मंडल ने मंडल कमीशन रिपोर्ट तैयार की थी। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपने दामाद देवेन्द्र मांझी को टिकट दिलाना चाहते हैं। उनके बेटे संतोष सुमन पहले से विधानसभा सदस्य हैं।

कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा के अलावा वरीय नेता अशोक कुमार अपने बेटे के लिए टिकट चाहते हैं। पूर्व विधायक रामदेव राय की मृत्यु के बाद उनके पुत्र शिवप्रकाश टिकट के दावेदार हैं। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष विधानसभा अध्यक्ष रहे सदानंद सिंह अपने बेटे को कहलगांव से टिकट दिलाना चाहते हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि टिकटों का बंटवारा जीत सकने की क्षमता के आधार पर की जाएगी।