विधानसभा चुनाव टालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका

बिहार विधानसभा चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट से चुनाव आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह देशव्यापी कोरोना संकट को देखते हुए बिहार विधानसभा चुनावों को कुछ समय के लिए टाल दे। याचिकाकर्ताओं ने यह अनुरोध भी किया है कि बिहार सरकार को विधानसभा चुनावों की अधिसूचना सरकारी गजट में तब तक प्रकाशित नहीं करने का निर्देश दे, जब तक बिहार राज्य को समुचित तरीके से कोरोना मुक्त और बाढ़-मुक्त न करार दिया जाए।

याचिकाकर्ताओं ने इसपर हैरानी जताई है कि चुनाव आयोग कोरोना और बाढ़ की वजह से उत्पन्न असाधारण परिस्थितियों से अनजान है। खासकर उन इलाकों की परिस्थितियों से अनजान है जिसमें चुनाव कराए जाने हैं। उन इलाकों में स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं दिखता। इन परिस्थितियों में सार्वजिनक सभा करने पर प्रतिबंध है, लोगों के मिलने जुलने में कई तरह के प्रतिबंध हैं। ऐसे में उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार करना और आम मतदाताओं के लिए मतदान करना जोखिम भरा काम होगा। आम लोग मतदान करने से भयभीत रहेंगे और मतदान करने से बचना चाहेंगे। इसतरह अपने मताधिकार का प्रयोग करने से वंचित हो जाएगे।

याचिका में कई कानूनी सवाल उठाए गए हैं। क्या संविधान की धारा-324 के तहत प्राप्त अधिकारों से चुनाव आयोग चुनाव कराने के बारे में सभी फैसले लेने में सक्षम है। क्या जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धाना 14 और 15 के अंतर्गत राष्ट्रपति या राज्यपाल चुनाव आयोग की सिफारिश पर चुनाव की तारीख निर्धारित कर सकते हैं।

एक याचिकाकर्ता राजेश जायसवाल वकील हैं और दूसरे अविनाश ठाकुर साधारण किसान। इन्होंने कहा है कि जिस तरह की असाधारण परिस्थितियां हैं, उसमें सर्वोच्च अदालत मौन नहीं रह सकती और देश व प्रदेश को चुनाव आयोग की मर्जी पर नहीं छोड़ सकती। संविधान की धारा-32 के अंतर्गत इस अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार है।

याचिकाकर्ताओं ने 12 अगस्त को टाइम्स आफ इंडिया में प्रकाशित समाचार को संलग्न किया है। जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त का यह बयान छपा है कि बिहार विधानसभा के चुनाव समय पर होंगे। एक तरफ पूरे प्रदेश में देश के अन्य हिस्सों के साथ ही कोरोना महामारी फैली है, दूसरी ओर आधे से अधिक राज्य में बाढ़ आई हुई है।

First Published on: August 23, 2020 9:10 AM
Exit mobile version