रघुवंश बाबू के पत्र में 10 अगस्त को काटकर किया गया था 10 सितंबर

रघुवंश बाबू के पत्र को लेकर विवाद पैदा हो गया है। संदेह जताया जा रहा है कि वह पत्र उनसे दबाव देकर लिखवाया गया। ऐसे भी वह पत्र पहले से लिखा हुआ था, उस दिन 10 सितंबर को उसे जारी किया गया। लेटरहेड पर टाइप किए हुए पत्र पर 10 अगस्त की तारीख पड़ी थी जिसे काटकर 10 सितंबर किया गया था।

मुख्यमंत्री को संबोधित रघुवंश बाबू के पत्र को लेकर विवाद पैदा हो गया है। संदेह जताया जा रहा है कि वह पत्र उनसे दबाव देकर लिखवाया गया। ऐसे भी वह पत्र पहले से लिखा हुआ था, उस दिन 10 सितंबर को उसे जारी किया गया। लेटरहेड पर टाइप किए हुए पत्र पर 10 अगस्त की तारीख पड़ी थी जिसे काटकर 10 सितंबर किया गया था।

पहले पत्र में तो रघुवंश बाबू ने मनरेगा कानून में लंबित संशोधन करने और वैशाली के विकास संबंधी अनुरोध किए हैं। लेकिन दूसरा पत्र अधिक विवादित हुआ है। वह किसी को संबोधित नहीं है और उसमें राजनीति में आई गिरावट का उल्लेख किया गया है। इस पत्र में गांधी, अम्बेडकर, लोहिया, जेपी और कर्पूरी ठाकुर के बजाय एक ही परिवार के पांच लोंगों की तस्वीरें पार्टियों के पोस्टर लगने का जिक्र है। पत्र में कहा गया है कि समाजवादी नामधारी पार्टियों में परिवारवाद, जातिवाद और सामंतवाद प्रवेश करने लगी हैं। इस पत्र का शीर्षक राजनीति का मतलब बुराई से लड़ना, धर्म का मतलब अच्छे काम करना है। इस पत्र को अप्रत्यक्ष रुप से राजद की आलोचना ठहराया जा रहा है। विपक्षी पार्टियां इस पत्र को मुद्दा बनाने की कोशिश में हैं।

राजद विधायक भाई वीरेन्द्र ने संदेह जताया है कि कोई अस्पताल में सघन निगरानी कक्ष के बिस्तर पड़े हुए इतना लंबा पत्र कैसे लिख सकता है। पार्टी के विधान परिषद सदस्य सुबोध राय और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी इसी तरह के संदेह व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि वे एक सप्ताह पहले एम्स में रघुवंश बाबू से मिले थे, तब अनेक मामलों को लेकर नीतीश कुमार और उनकी सरकार के प्रति उनकी नाराजगी स्पष्ट झलक रही थी। वे एक सप्ताह के भीतर ऐसा पत्र कैसे लिख सकते हैं, यह आश्यर्यजनक है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को कई पत्र लिखे गए हैं और उन्हें तत्परता के साथ सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया है, यह भी संदेह जनक है। सांसद सिंह को इसके पीछे एनडीए की साजिश होने का संदेह है जो आगामी विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया गया है।

राजद और कांग्रेस नेताओं के संदेह जाहिर करने के फौरन बाद एनडीए नेताओं ने राजद पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया है। लगता है कि उनके पास शर्म नाम की चीज नहीं है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता नीखिल आनंद ने कहा कि वरिष्ठ समाजवादी नेता राजद के नए नेताओं के व्यवहार से आहत हुए थे, इसमें कोई संदेह नहीं।

इसबीच रघुवंश बाबू की अंत्येष्टि वैशाली जिले में उनके पैतृक गांव में कल राजकीय सम्मान के साथ संपन्न हुई। हांलाकि इसमें मुख्यमंत्री या जदयू और भाजपा का कोई बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ, जबकि राजद नेता तेजस्वी यादव समेत विधायकों और नेताओं का पूरा काफिला पटना से ही शवयात्रा में साथ गया।

 

 

 

First Published on: September 16, 2020 3:49 PM
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