बिहार विधानसभा चुनाव अगर नियत समय पर हुए तो उसका रूप-रंग बदला होगा। कोरोना-काल में चुनाव कराने में विशेष दिशानिर्देशों का पालन करना होगा जिसे चुनाव आयोग ने 21 अगस्त को जारी किया है। नामांकन, चुनाव-प्रचार, मतदान और मतगणना के प्रक्रिया में बदलाव होगा। यह दिशानिर्देश बिहार विधान सभा चुनावों के साथ ही देश के कई हिस्सों में होने वाले उप-चुनावों में भी प्रभावी होगा। कोरोना काल में उम्मीदवारों को ऑनलाइन नामांकन करने, शपथ-पत्र देने और सुरक्षित राशि जमा करने का विकल्प उपलब्ध रहेगा।
सके पहले आयोग ने विभिन्न राजनीतिक दलों से 11 अगस्त तक चुनाव और प्रचार के बारे में सुझाव मांगा था। राज्य निर्वाचन अधिकारी से भी इस बारे में सुझाव मांगे गए थे। उन सुझावों को ध्यान में रखते हुए ताजा दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। इसके अनुसार ऑनलाइन नामांकन व दूसरे दस्तावेज जामा करने वाले उम्मीदवारों को उसके प्रिंट चुनाव अधिकारी के पास जमा कराना होगा। यह व्यवस्था वैकल्पिक है, पुरानी व्यवस्था भी लागू रहेगी।
जनसभा का आयोजन भी कोरोना को लेकर दिशानिर्देशों के अनुसार ही किया जाएगा। उस दिशानिर्देश का पालन नहीं करने पर आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत कार्रवाई की जाएगी। मतदान में इंतजार करने के लिए एक शेड बनेगा जहां पर्याप्त कुर्सी व दरी की व्यवस्था होगी। बूथों पर साबुन व पानी की व्यवस्था की जाएगी। जो मास्क पहनकर नहीं आएंगे उन्हें मास्क दिया जाएगा। पहचान के लिए जरूरत होने पर मास्क को नीचे करना होगा।
घर-घर प्रचार प्रत्याशी सहित पांच लोगों को जाने की अनुमति होगी। रोड शो के दौरान वाहनों के बीच पर्याप्त दूरी होगी। कोरोना के दिशानिर्देश के अनुसार ही जनसभा या रैली होगी। जिला निर्वाचन अधिकारी सभा-स्थल चिंन्हित करेंगे। वहां वे प्रवेश और निकास को पहले ही इंगित कर देंगे। जिला निर्वाचन पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि सभा में आने वाले सोशल डिंस्टेंसिंग का पालन करेंगे। नोडल हेल्थ अफिसर यह सिनिश्चित करेंगे कि वहां कोरोना दिशानिर्देश का पालन हो रहा है। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सुनिश्चित करेंगे कि सभाओं में निर्धारित संख्या से अधिक लोग नहीं हों।
इसके अलावा सभी बूथों के सेनेटाइज किया जाएगा। मतदाताओं की थर्मल स्कैनिंग की जाएगी। थर्मल स्कैनिंग मतदानकर्मी, पारा मेडिकल कर्मचारी या आशा कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाएगा। जिस मतदाता के शरीर का तापमान मानक से अधिक होगा, उसे अंतिम समय में मतदान करने के लिए कहा जाएगा। इसके लिए उसे टोकन दिया जाएगा। टोकन देने के लिए हेल्प डेस्क बनेगा। सोशल डिंस्टेंसिंग के लिए चिन्ह बनेंगे। बीएलओ और कार्यकर्ताओं को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए तैनात किया जाएगा। हस्ताक्षर करने और बटन दबाने के लि मतदाता को दस्ताना दिया जाएगा। एक हाल में सात से अधिक टेबल नहीं लगाए जाएगे। तीन-चार हाल होने पर अतिरिक्त सहायक निर्वाचन अधिकारी तैनात होंगे। बड़े पर्दे पर कंट्रोल युनिट के परिणाम प्रदर्शित किए जाएंगे। मतगणना स्थल को गणना के पहले संक्रमण मुक्त किया जाएगे। पोस्टल बैलेट की गिनती के लिए अतिरिक्त सहायक निर्वाची अधिकारियों की जरूरत होगी। इसके लिए अलग स्थान उफलब्ध कराया जाएगा।
इस बार किसी मतदान-केन्द्र पर 1000 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। अभी हर मतदान केन्द्र पर औसतन 1500 तक मतदाता रहते थे। इसलिए राज्य में 33 हजार 787 अतिरिक्त मतदान केन्द्र बनाने होंगे। इसके लिए अतिरिक्त मतदान कर्मियों की व्यवस्था करनी होगी। निर्वाचन पदाधिकारियों की ट्रेनिंग का दौर 9 जुलाई से 17 जुलाई के बीच संपन्न हो चुका है। निर्वाचन पदाधिकारी के रूप में 101 अनुमंडल पदाधिकारी, 101 भूमि उप समाहर्ता और अन्य वरीय पदाधिकारियों को नामित किया गया है।
राज्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के अनुसार इस बार राज्य में लगभग छह लाख मतदानकर्मियों की जरूरत होगी। करीब 34 हजार अतिरिक्त बूथ बनाए जाने की वजह से पहले से एक लाख 80 हजार अधिक मतदानकर्मियों की जरूरत होगी। इसलिए मतदान कार्य में संविदा कर्मियों को भी लगाने का निर्णय किया गया है। चुनाव कार्यालय संविदाकर्मियों का विवरण एकत्र कर रहा है।
राज्य चुनाव अधिकारी एच आर श्रीनिवास के अनुसार, चुनाव आयोग के ताजा दिशानिर्देशों के आधार पर जनसभा का स्थलों का चयन अभी से किया जा रहा है ताकि चुनाव की घोषणा होने पर राजनीतिक दल उसका क्षमता अनुसार उफयोग कर सकें। सभी जिलों को निर्देश दिया गया है कि पहले स्तर की जांच में खराब पाई गई ईवीएम मशीनों को तत्काल वापस कर दें। इस बाबत सोमवार को चुनाव राज्य भर के चुनाव अधिकारियों की वर्चुअल बैठक होई जो करीब ढाई घंटे चली। इसमें मतदाता हेल्प लाइन, स्वीप अभियान आदि के बारे में चर्चा की गई। करीब दस प्रतिशत मतदान कर्मियों को रिजर्व रखा जाएगा ताकि किसी मतदानकर्मी के कोरोना संक्रमित पाए जाने पर उसे तत्काल बदला जा सके।