चुनाव आयोग के नए दिशानिर्देशों से भाकपा-माले को गहरी असहमति है। उसने कहा है कि इन दिशानिर्देशों के सहारे सत्ताधारी पार्टी आसानी से धांधली कर सकेगी। माले ने इसे लेकर चुनाव आयोग को फिरसे ज्ञापन देने की बात कही है। माले ने कहा है कि इसमें कोरोना से बचाव का कोई ठोस उपाय नहीं बताया गया है, उसके बहाने धांधली के रास्ते बना दिए गए हैं।
माले के राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि विभिन्न राजनीतिक दलों व सिविल सोसाइटी दवारा चुनावी धांधली का अंदेशा जताने के बाद चुनाव आयोग ने 65 साल के लोगों को पोस्टल बैलेट देने का प्रस्ताव वापस लिया था, लेकिन उसने कोविड के नाम पर फिर एक ऐसा प्रावधान किया है जो व्यापक चुनावी धांधली की जगह बनाता है।
दिशानिर्देश के पोस्टल बैलट संबंधी चैप्टर 12 के बिन्दु 1 डी में कहा गया है कि सिर्फ कोविड पॉजिटिव ही नहीं, संदिग्ध कोविड संक्रमित मतदाता और होम या संस्थान में क्वारंटाइन में रह रहे मतदाता भी पोस्टल बैलेट प्राप्त करने के अधिकारी होंगे। मतदान केन्द्र की व्यवस्था से संबंधित चैप्टर 10 के बिन्दु नम्बर 21 में कहा गया है कि क्वारंटाइन मतदाता मतदान के अंतिम समय में वोट देंगे। इसी चैप्टर के बिन्दु नंबर 4 में यह भी कहा गया है कि थर्मल स्क्रीनिंग के दौरान बूथ पर अगर कोई बुखार से पीड़ित पाया जाएगा तो उसे अंतिम समय में वोट डालने को कहा जाएगा।
सवाल यह है कि संदेहास्पद कोविड मतदाता की पहचान कैसे होगी? इस नाम पर सत्ताधारी दल बड़ी संख्या में पोस्टल बैलेट हासिल कर सकते हैं और पूरे चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। कंटनमेंट जोन वाले इलाके के लिए अलग से बूथ बनाया जा सकता है, लेकिन इसके बहाने पोस्टल बैलेट जारी कर धांधली की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसलिए हमारी मांग है कि संदेहास्पद मरीज या होम क्वारंटाइन मरीज को पोस्टल बैलेट देने का प्रावधान वापस किया जाए ताकि चुनाव अगर हो तो पारदर्शी, निष्पक्ष व विश्वसनीय हो।
वैसे चुनाव के दौरान कोरोना से मतदाता की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होगी। वह इस जिम्मेवारी से नहीं भाग सकता। आयोग लाख विरोध के बावजूद चुनाव करवाने पर आमादा है। इसलिए लोगों की जान की रक्षा की जिम्मेवारी भी उसी पर आती है, लेकिन गाइड लाइन के चुनाव प्रचार संबंधी चैप्टर 13 के बिन्दु 3 एफ में उसने सभा, प्रचार आदि तमाम मामले में कोरोना से रक्षा की जिम्मेवारी पार्टी और उम्मीदवार पर डाल दिया है। यह एकदम गैर जिम्मेदाराना बात है। हमारी पार्टी की मांग है कि इस प्रावधान को वापस लिया जाए।
हमारी मांग है कि आयोग मतदाता और पुलिस सहित तमाम चुनावकर्मियों के संक्रमित होने पर हरेक को कोविड गुजारा भत्ता व मुफ्त इलाज की व्यवस्था करवाए। पार्टी इन सभी लोगों का 50 लाख रुपए का बीमा करवाने की मांग करती है ताकि उनका सही समय पर इलाज करवाया जा सकें। भाकपा-माले ने एक बार फिर इवीएम की जगह बैलेट से चुनाव की मांग की है ताकि कोरोना का संक्रमण कम हो सके। ऐसे भी इवीएम से चुनाव हमेशा से संदेह के दायरे में रहा है।