प्रदीप सिंह
देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी बाल विवाह को अंजाम देने की खबरें आ रही हैं। यह खबर भारत के सुदूर इलाकों से नहीं, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे सोनीपत से आई है। हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना गांव से एक 16 वर्षीय लड़की को बाल विवाह के लिए मजबूर करने के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन के प्रयास से नाबालिग की शादी रुक गई और पुलिस ने जबरिया शादी करवाने के जुर्म में आरोपियों को गिरफ्तार कर हिरासत में भेज दिया है। लॉकडाउन के दौरान किसी भी तरह के खतरे से बचने के लिए आरोपियों को क्वांरेंटाइन में भी रखा गया है।
बाल विवाह को अंजाम देने वाले व्यक्तियों की पहचान पुलिस ने नई तकनीक के आधार पर करते हुए त्वरित कार्रवाई की। फिर उस 27 वर्षीय दूल्हे समेत उन व्यक्तियों को धर दबोचा, जो एक नाबालिग की जबरिया शादी करवाने के जुर्म में लिप्त थे। इस बाल विवाह के बारे में शुरुआती जानकारी बचपन बचाओ आंदोलन के हरियाणा स्थित कार्यकर्ताओं को 25 अप्रैल को भरोसेमंद (नाम बदला हुआ) नामक एक व्यक्ति से मिली थी। जिसकी लिखित सूचना दिल्ली में बीबीए कार्यकर्ताओं को भी दी गई थी।
जानकारी के अनुसार दिल्ली के बुराड़ी स्थित नत्थूपुरा इलाके में गर्ल्स मॉडल स्कूल की 10वीं की छात्रा को उसके माता-पिता ने सोनीपत में एक अज्ञात स्थान पर शादी के लिए भेज दिया था। दिल्ली स्थित बीबीए कार्यकर्ताओं ने लड़की की उम्र और उसके पिता के मोबाइल फोन नंबर के दस्तावेजी सबूतों का जल्दी ही पता लगा लिया।
हरियाणा स्थित बीबीए कार्यकर्ताओं ने जल्द ही राज्य के पुलिस महानिदेशक और मानव दुर्व्यापार विरोधी इकाई यानी एएचटीयू अधिकारी राज सिंह से संपर्क किया,जो तुरंत कार्रवाई में जुट गए। राज सिंह ने पुलिस अधीक्षक जश्नदीप सिंह रंधावा को फोन कर उनसे सहयोग करने का आग्रह किया, जिससे लड़की का पता लगाया जा सके। बीबीए कार्यकर्ताओं ने भी रंधावा से संपर्क किया, जिन्होंने लापता लड़की का पता लगाने के लिए साइबर अपराध इकाई को निर्देश दिया।
लड़की के पिता शंकर लाल के मोबाइल फोन को तुरंत निगरानी में रखा गया। हालांकि कई घंटों की फोन निगरानी के बावजूद लड़की का का कोई सुराग नहीं मिला। शंकर लाल का पता नत्थूपुरा और उसके आसपास पाया गया।
साइबर अपराध सेल पुलिस ने अगले दिन यानी 26 अप्रैल को जब अक्षय तृतीया मनाई जा रही थी, निगरानी फिर से शुरू करने का फैसला किया। गौरतलब है कि हरियाणा में कई लोग अक्षय तृतीया के अवसर पर बेटियों की शादी कर देते हैं। इसी आधार पर जांच शुरू की गई, लेकिन जांच का कोई नतीजा नहीं निकला। हालांकि बाद में शंकर लाल के मोबाइल फोन की लोकेशन सोनीपत की मिली।
यह जानकारी रंधावा के साथ साझा की गई। दो-ढाई घंटे के इंतजार के बाद कार्रवाई फिर तेजी से शुरू की गई। जांच में पता चला कि लड़की की शादी 26 अप्रैल की देर रात को ही कर दी गई थी।
बीबीए कार्यकर्ताओं ने प्रोबेशन अधिकारी भानु गौड़ से भी संपर्क किया जो बाल विवाह के मामलों को देखती हैं। लड़की को स्थानीय बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया, जिसके सदस्यों ने पूरे मामले और गिरफ्तारियों के बाबत घटनाओं की विस्तार से जानकारी ली। गौरतलब है कि लड़की को भी सोनीपत में क्वारेंटाइन में रखा गया है।
बीबीए के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए कहा, “इस घटना से पता चलता है कि लॉकडाउन के दौरान भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। हम सभी पुलिस बल और विशेषकर हरियाणा पुलिस से आग्रह करते हैं कि वे बाल दुर्व्यवहार और बच्चों के प्रति बरते जा रहे सभी प्रकार के शोषण पर कड़ी नजर रखें, उसकी जांच करें और उस पर तत्काल कार्रवाई करें।”
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188 और बाल विवाह (निषेध) अधिनियम के तहत लड़की के माता-पिता के साथ-साथ ‘दूल्हे’ के खिलाफ भी एक प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कर ली गई है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट-2015 के अलावा धारा 370 दुर्व्यापार और 370ए दुर्व्यापार से जुड़े व्यक्ति का शोषण) के अन्य प्रासंगिक प्रावधान भी इससे जुड़ते हैं।