नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले में तिहाड़ में जेल में बंद जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की समाजशास्त्र की छात्रा 27 वर्षीय सफूरा जरगर को 10 हजार के मुचलके पर जमानत दे दी है। हाईकोर्ट ने उनके गर्भवती होने से मेडिकल आधार पर जमानत दी है। सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि केस की मेरिट पर ना जाकर उसे इस केस में जमानत पर कोई आपत्ति नहीं है।
जमानत देते हुए कोर्ट ने शर्तें भी लगाई हैं जिसके मुताबिक इस दौरान वो किसी भी ऐसी गतिविधि में लिप्त नहीं होगी जिसमें उनकी जांच हो रही है। गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेंगी। दिल्ली छोड़कर बिना अदालत की इजाजत से कहीं नही जाएंगी और जांच में सहयोग करेंगी। कोर्ट ने साथ यह भी कहा कि ये केस मिसाल नहीं बनेगा। वहीं दिल्ली पुलिस के वकील तुषार मेहता ने कहा कि मानवीय आधार पर जमानत का विरोध नहीं कर रहे हैं। सफूर जरगर के वकील नित्या रामाकृष्षनन ने कहा कि अपने डॉक्टर से सलाह के लिए वे फरीदाबाद जा सकती हैं।
आपको बता दें कि सफूरा को पूर्वी दिल्ली में 23 से 25 फरवरी तक चले दंगों में साज़िश रचने का आरोप में 10 अप्रैल को गिरफ़्तार किया गया था और 13 अप्रैल को उन्हें ज़मानत मिल गई थी, लेकिन दिल्ली पुलिस ने एक दूसरी एफआईआर के आधार पर सफूरा को फिर से गिरफ़्तार कर लिया जाता था। दिल्ली पुलिस ने सफूरा पर 21 अप्रैल को UNLAWFUL ACTIVITIES PREVENTION ACT (UAPA) एक्ट लगाया है। 27 साल की सफूरा जामिया विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही हैं और वह जामिया कार्डिनेशन कमेटी की सदस्य भी हैं।
बता दें कि कोरोना महामारी के दौर में जहां कई लोगों को जमानत मिल जा रही है वहीं 23 सप्ताह की गर्भवती सफूरा जरगर को जमानत नहीं मिलने पर कानून के कई जानकारों ने नाखुशी जाहिर किया था और दिल्ली पुलिस व्दारा इस छात्रा पर विभिन्न धारा लगाकार जेल में रखने पर दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे।