
1981 में बॉक्स ऑफिस पर दस्तक देने वाली कुदरत उस साल के सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्म थी और इसके ढेर सारे वजह थे। उस समय के कुछ बड़े सितारों से यह फिल्म भरी पड़ी थी। राजकुमार, हेमा मालिनी, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना ये सभी चेतन आनंद के पुनर्जन्म की कहानी के हिस्सा थे। लेकिन सितारों की ये मजलिस बॉक्स ऑफिस पर कोई भी कमाल नहीं दिखा पायी थी और कुदरत चेतन आनंद के फ़िल्मी करियर की सबसे कमजोर फिल्म मानी जाती है। लेकिन इस फिल्म की असफलता का इसके स्टार कास्ट से कुछ भी लेना देना नहीं था। अगर इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर डुबोने में किसी का हाथ था तो वो था फिल्म के अभिनेता राजेश खन्ना।
ये चेतन आनंद ही थे जिन्होंने राजेश खन्ना को अपनी फिल्म आखरी खत से फिल्म जगत में लांच किया था। अस्सी के शुरुआत में जब राजेश खन्ना का फिल्मी करियर लड़खड़ाने लगा था तब उनको लगा की कोई अच्छा निर्देशक ही उनके डुबते हुए करियर को बचा सकता है और इसी सोच के साथ उन्होंने चेतन आनंद से संपर्क साधा। बॉलीवुड का ये वो दौर था जब बड़े सितारों की खूब चलती थी और फिल्में महज उनके नाम से बिकती थी। अगर कोई बड़ा सितारा खुद एक फिल्म प्रोजेक्ट की शुरुआत करता था तो वो एक तरह से अच्छी खबर मानी जाती थी। उस दौरान चेतन आनंद का प्रोडक्शन हाउस हिमालय फिल्म्स आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहा था। जब उनकी मुलाकात राजेश खन्ना से हुई तब उन्होंने इस बात का खुलासा किया की उनके पास फिल्म बनाने के लिए अच्छी कहानी जरूर है लेकिन पैसे नहीं है। उसी मीटिंग में चेतन आनंद ने कुदरत की कहानी राजेश खन्ना को सुनाई थी जो उनको बेहद पसंद आयी। कहानी सुनने के कुछ दिनों के बाद ही राजेश खन्ना चेतन आनंद के घर एक बार फिर से पहुंच गए लेकिन इस बार उनके साथ बी एस खन्ना भी थे जो फिल्म में बतौर निर्माता पैसा लगाने के लिये तैयार हो गए थे। और इसी के साथ कुदरत की मेकिंग भी शुरू हो गयी और कुछ समय के बाद फिल्म बन कर तैयार भी हो गयी। ये अलग बात है की फिल्म बनने का पुरा सफर 4 साल मे पुरा हुआ।
लेकिन फिल्म बनने के बाद जो आने वाले दिन थे वो फिल्म के लिए अच्छे नहीं थे। चेतन आनंद और राजेश खन्ना के बीच मतभेद पैदा हो गए जिसका बुरा असर फिल्म पर पड़ने वाला था। कुदरत के रिलीज़ के कुछ दिन पहले राजेश खन्ना ने अपने गिने चुने दोस्तों के लिए एक फिल्म का ट्रायल शो रखा। शो के बाद उनको अपने चाहने वालो से ये हिदायत मिली की अगर वो सही मायनों में फिल्म की सफलता का सेहरा अपने सर पर बंधवाना चाहते है तो इसके लिये उनको बाकी कलाकारों के रोल को कटवाना पड़ेगा। इसके बाद उन्होंने एक तरह से फिल्म के एडिटर के ऊपर दबाव डाल कर फिल्म को अपने हिसाब से एडिट करवाना शुरू कर दिया। एडिटर के ज़मीर को ये गवारा नहीं था लिहाजा उसने राजेश खन्ना की हरकतों का खुलासा चेतन आनंद के सामने कर दिया। इसके कुछ दिनो के बाद जब चेतन आनंद ने अपने प्रोडक्शन हाउस के मैनेजर को एडिटर के घर इस संदेशे के साथ भेजा की वो तुरंत उनसे मिले, तब वो नहीं मिला। इसके बाद जब राजेश खन्ना और बी एस खन्ना को फ़ोन किया गया तब उन्होंने फ़ोन रिसीव करने से मना कर दिया। चेतन आनंद ने तब तक इसके पीछे की साज़िश भांप ली थी और उसके बाद वो तुरंत पहुंचे नवरंग लैब जहा पर फिल्म की एडिटिंग का काम चल रहा था। लेकिन फिल्म के निर्माता नहीं होने की वजह से चेतन आनंद को एडिटिंग स्टूडियो के अंदर जाने को इजाजत नहीं मिली।
इस घटना के बाद चेतन आनंद ने ये तय किया की वो फिल्म एडिटर्स एसोसिएशन और फिल्म प्रोडूसर्स एसोसिएशन में इसकी शिकायत दर्ज़ करवाएंगे। लेकिन इसके तुरंत बाद चेतन आनंद के प्रोडक्शन हाउस के मैनेजर को धमकी भरे फ़ोन कॉल्स आने शुरू हो गए जिसमे जान से मारने की बात भी कही गयी थी। ऐसी ही फ़ोन कॉल्स चेतन आनंद को भी बाद में आने शुरू हो गए। जब दोनों ने इस बाबत फिल्म के प्रोडूसर बी एस खन्ना से बात की तब उन्होंने यही कहा की फ़ोन कॉल्स के पीछे उनका कोई हाथ नहीं है. इसके बाद जब चेतन आनंद ने कहा की फिल्म के निर्देशक होने की वजह से फिल्म की फाइनल कट के अधिकार सिर्फ उन्ही के पास है। लेकिन इसके बाद जो जवाब उनको सुनने को मिला उसको सुनकर उनके पैर के नीचे के ज़मीन खिसक गयी। उस वक़्त तक फिल्म के नेगटिवेस लैब में प्रोसेसिंग के लिए जा चुके थे और फिल्म की कॉपी कुछ दिनों बाद निकलने वाली थी।
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