पणजी। केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने मनोरंजन के क्षेत्र में डिजिटल स्ट्रीमिंग (ओटीटी) प्लेटफॉर्म की जवाबदेही का आह्वान करते हुए कहा है कि यदि “आप चाहते हैं कि जनता आपके काम और सामग्री को देखे“ तो जनता की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।
सेंसर बोर्ड के प्रमुख ने ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्मों को मनोरंजन के क्षेत्र में एक उभरता हुआ माध्यम बताते हुए कहा कि इस पर लगातार चर्चा होनी चाहिए।
प्रसून जोशी ने कहा, ‘‘मनोरंजन के क्षेत्र में ओटीटी एक उभरता हुआ माध्यम है और हम नहीं जानते कि इंटरनेट के माध्यम से होने वाला मनोरंजन भविष्य में कैसे विकसित होगा। मेरा मानना है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म को दर्शकों की आवाज भी सुननी चाहिए। यदि आप दर्शकों के जरिए मुनाफा कमाते हैं, तो आपको उनकी आवाज भी सुननी चाहिए।’’
उन्होंने गोवा में आयोजित 52वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) से इतर पीटीआई-भाषा से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘ यदि आप चाहते हैं कि जनता आपके काम और सामग्री को देखे, तो आपको उनकी भावनाओं का सम्मान भी करना होगा। यह एकतरफा रास्ता नहीं हो सकता है।’’
दरअसल, कई ओटीटी प्लेटफॉर्म को उनकी सामग्री के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। कुछ मामलों में, जैसे अली अब्बास ज़फ़र की सीरीज़ ‘‘तांडव’’ में कुछ दृश्यों पर विवाद होने के बाद दक्षिणपंथी समूहों ने सीरीज़ के कलाकारों और निर्देशक के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। कुछ निर्माताओं पर ‘‘हिंदू भावनाओं’’ को आहत करने का आरोप लगाया गया है।
डिजिटल स्ट्रीमिंग (ओटीटी प्लेटफॉर्म) पर प्रसारित होने वाले शो की सामग्री को सेंसर करने के बारे में पूछे जाने पर, जोशी ने कहा कि हर चीज में जवाबदेही होनी चाहिए।
जाने-माने गीतकार एवं लेखक प्रसून जोशी ने कहा,‘‘हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह ओटीटी के संबंध में क्या आकार और रूप लेगा। जैसे-जैसे ओटीटी क्षेत्र विकसित होता है, वैसे वैसे ही इस पर लगातार चर्चा होनी चाहिए।’’
28 नवंबर को महोत्सव के समापन समारोह में जोशी को ‘‘इंडियन पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर’’ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
‘हम तुम’, ‘ब्लैक’, ‘रंग दे बसंती’, ‘तारे जमीं पर’ और ‘भाग मिल्खा भाग’ जैसी फिल्मों के लिए हिट गानों के बोल देने वाले जोशी ने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें एक रचनात्मक व्यक्ति के रूप में मान्यता देता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं झूठ बोलूंगा अगर मैं कहूं कि मुझे पुरस्कार प्राप्त करने में खुशी नहीं है। जब आप अपने काम को लोगों तक पहुंचते देखते हैं तो आपको खुशी होती है।
लेकिन जब लोग आपकी कला को समझते हैं और यहां तक कि वे आपकी सराहना करते हैं, तो यह आपको मान्यता प्रदान करता है और आपको महसूस कराता है कि आप कुछ सही कर रहे हैं। मुझे अभी ऐसा ही लगता है।’’