दिल्ली की जान है प्रगति मैदान


प्रगति मैदान की और सबसे
बड़ी विशेषता है यहां पर होने वाले आयोजन। साल भर यहां पर कोई न कोई मेला लगता रहता
है। भारत में ‘आधुनिक मेला संस्कृति का प्रतीक होने के नाते प्रगति
मैदान में आयोजित किए जाने वाले मेलों का विस्तार और आयाम दोनों बढ़ा है। विश्व पुस्तक
मेला इसका उदाहरण है। उपभोक्ता व्यापार मेला,चाय मेला, आभूषण प्रदर्शनी,चमड़ा मेला और हेल्थ केयर मेला इसके उदाहरण है।



दिल्ली में
प्रगति मैदान जाना पहचाना नाम है। रिंग रोड और मथुरा रोड में बीच में स्थित प्रगति
मैदान देश के विकास से जुड़े औद्योगिक उत्पादों को देश के अंदर और बाहर पहचान
दिलाने का कार्य कर रहा है। दिल्ली के अंदर और बाहर अब इसकी पहचान प्रदर्शनी परिसर
के रूप में है। सर्वप्रथम 1952 में इसका चुनाव रेलवे
प्रदर्शनी लगाने के लिए किया गया था। भरत की स्वतंत्रता की रजत जयंती के साथ-साथ
तीसरे एशिया अन्तरराष्ट्रीय व्यापार मेला-एशिया 72 के आयोजन के साथ ही इस मेला परिसर और इसमें आयोजित किए
जाने वाले व्यापार मेलों के स्वरूप में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए। भारत में विश्व स्तर
के प्रदर्शनी परिसर- प्रगति मैदान में उत्कृट स्तर के अनेक अन्तरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय
व्यापार मेले आयोजित किए जाते है। आधारभूत सुविधाओं से युक्त और हरे भरे वातावरण
में निर्मित इसके प्रदर्शनी हाल आयोजनों की स्वाभाविक पसंद बन गए है।
प्रगति मैदान
149 एकड़ भूमि पर फैला हुआ
है। जिसमें 10,000 वर्गमीटर खुला
प्रदर्शनी क्षेत्र तथा 16 हालों में 61290 वर्गमीटर आच्छादित प्रदर्शनी क्षेत्र है। 1982 में एशियाई खेलों के दौरान प्रगति मैदान के
विकास में चार चांद लगा। जब केन्द्र सरकार खुले दिल से प्रगति मैदान को संवारने
में दिलचस्पी ली। प्रगति मैदान परिसर में देश के सारे राज्यों का पवेलियन बनाया
गया। मेले के हर राज्य के औद्योगिक उत्पाद अपने राज्य के पवेलियन में ही प्रदर्शित
किए जाते है। व्यापार, मनोरंजन,रक्षा और खेल सारी चीजें यहां पर मौजूद है। शाकुंतलम
थिएटर जहां पर सस्ते में मनोरंजन उपलब्ध करा रहा है। वहीं पर नेहरू पवेलियन देश के
प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के जीवन और संघर्ष पर आधारित प्रदर्शनी
नौजवानों को देश के लिए कुछ करने को ललकराती है। 14 नवबंर से 27 नवंबर तक प्रगति मैदान में विश्व स्तरीय
व्यापार मेला लगता है। यह मेला एशिया का सबसे बड़ा व्यापार मेला है। इस साल इस मेले
में 7000 से ज्यादा स्टाल लगाये
जाते हैं। भारत के साथ-साथ विदेशों की कई औद्योगिक उत्पाद इसमें शामिल होते हैं।

मुख्य रूप से प्रगति
मैदान को चार भागों में बांटा जा सकता है। पहला प्रगति मैदान का वह क्षेत्र जो
दिल्ली के साथ-साथ विश्व स्तर पर जाना जाता है। वह है आईटीपीओ यानी इण्डिया ट्रेड
प्रमोशन आर्गनाइजेशन। यह संस्था भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की
व्यापार संवर्धन एजेन्सी देश के विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग और वाणिज्य की झांकी
मेले में प्रदर्शित करने का कार्य करती है। आईटीपीओ में एक विशाल आधारभूत ढांचा
तथा विपणन और सूचना सुविधाएं सुलभ है। दूसरे स्थान पर प्रगति मैदान मनोरंजन के लिए
जाना जाता है। आज जब दिल्ली में सिनेमा संस्कृति घरों के अंदर कैद हो गयी है।
महंगे सिनेमा हालों के कारण औसत लोग जब घर में टीबी तक सिमट गए है। तो शकुंतलम
थिएटर सस्ता मनोरंजन उपलब्ध करा रहा है। इसके साथ ही परिसर में अन्य थिएटर भी
मौजूद है। खाने पीने के लिए कई रेस्त्रां है। जो मेले और घूमने के दौरान ही नहीं
अपितु शादी,व्याह और पार्टी के दौरान भी लोगों के लिए सुलभ है। 

प्रगति मैदान के
अंदर की सड़कें देश में बहने वाली तमाम नदियों के नाम पर रखी गयी है। रामगंगा,ताप्ती,गोदावरी सोन, अलकनंदा से लेकर
देश के उत्तर से लेकर दक्षिण तक की सारी नदियों के नाम पर परिसर की सड़कों का नाम
रखा गया है। परिसर के अंदर रक्षा पवेलियन और एक बौद्व विहार भी है। प्रगति मैदान
की विविधता ही वह खास कारण है, जो दर्शकों को
खासा आकर्षित करता है। प्रगति मैदान की और सबसे बड़ी विशेषता है यहां पर होने वाले
आयोजन। साल भर यहां पर कोई न कोई मेला लगता रहता है। भारत में ‘आधुनिक मेला संस्कृति का प्रतीक होने के नाते
प्रगति मैदान में आयोजित किए जाने वाले मेलों का विस्तार और आयाम दोनों बढ़ा है। विश्व
पुस्तक मेला इसका उदाहरण है। उपभोक्ता व्यापार मेला,चाय मेला, आभूषण प्रदर्शनी,चमड़ा मेला और हेल्थ केयर मेला इसके उदाहरण है। आईटीपीओ
देश के बाहर भी प्रदर्शनियों का आयोजन करती है। अप्रैल2007 से 2008 के बीच लीबिया से
लेकर अमेरिका तक में प्रदर्शनी लगाए गए। प्रगति मैदान अन्य एजेसियों के सहयोग से
भी प्रदर्षनियों का आयोजन करती है।

ऐसा नहीं है कि
प्रगति मैदान में सिर्फ मेलों के समय ही भीड़ होती है। बाहरी दुनिया का सब कुछ
प्रगति मैदान के अंदर मौजूद है। बैंक, डाकखाना और एमटीएनएल की शाखा भी उपलब्ध है। प्रगति मैदान में साल भर होने वाले
ढेर सारे आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्व हो रहे है। देश के अंदर चाहे वो
सरकारी कंपनियों के उत्पाद हो अथवा प्राईवेट सेक्टर के उत्पाद हो देश के अंदर और
वैज्ञानिक उपकरणों को पहचान दिलाने के लिए प्रतिपद्ध आईटीपीओ एक नया कीर्तिमान स्थापित
कर रहा है। प्रगति मैदान में ऐसा व्यापारिक वातावरण पैदा हो रहा है। जो चुनौतियों
को सुअवसरों के रूप बदल दे रहा है। प्रगति मैदान में व्यापार एवं उद्योग जगत के
प्रमुख एवं प्रतिनिधि पधारते रहते है। विशाल भारतीय बाजार की अपेक्षाओं को पूरा
करने के लिए कमर कसे आईटीपीओं देश में नया कीर्तिमान भी स्थापित कर रहा है। देश के
अंदर बनने वाले मशीनों और उपकरणों को विश्व बाजार में पहुंचाने का कार्य प्रगति मैदान
से हो रहा है।