जब मनोज बाजपेयी ने बासु चटर्जी की फिल्म की कहानी ना सुनने के लिये तरह तरह के हथकंडे अपनाये


फिल्मो के निर्देशन से पहले बासु चटर्जी कार्टूनिस्ट हुआ करते थे और व्यंग कितने और किस तरह के होते है इस बात से वो अच्छी तरह से परिचित थे। जब उनकी फिल्मो के कांसेप्ट के खरीदार बॉलीवुड में काम हो गए तब बॉलीवुड ने उनसे किनारा करना शुरू कर दिया था।


नागरिक न्यूज admin
मनोरंजन Updated On :

नए जनरेशन के लिए बासु चटर्जी रेलेवेंट नहीं रहे थे इस बात को निर्माता-निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने अपनी जीवनी गन्स एंड थाईग्स में बखूबी बयां किया है। राम गोपाल वर्मा ने अपनी किताब में बासु चटर्जी से जुड़े एक किस्से का उल्लेख किया है जिसको लेकर उनको काफी पीड़ा हुई थी। बात उन दिनों की है जब राम गोपाल वर्मा की फैक्ट्री (उन दिनों उनके प्रोडक्शन हाउस का नाम फैक्ट्री हुआ करता था) से धड़ाधड़ फिल्में निकलती थी।  

एक दिन जब रामु अपने दफ्तर में थे तब उनकी रिसेप्शनिस्ट का फ़ोन उनके पास आया और उनको बताया गया की कोई बासु चटर्जी उनसे मिलना चाहते है। रामु ने जब पूछा की ये कौन साहब है तब बदले में उनकी रिसेप्शनिस्ट ने उनको बताया की वो कोई डायरेक्टर है। इसके बाद रामु को एक तरह का शॉक लगा की बासु चटर्जी उनसे क्यों मिलने आये है लेकिन उसके बाद पूरे आदर सम्मान के साथ रामू ने अपने दफ्तर में उनको बिठाया और आव भगत की।  

रामु ने बातचीत के दौरान उनको बताया की कैसे अपने कॉलेज के दिनों में वो हैदराबाद के रामकृष्ण थिएटर में अक्सर उनकी फिल्में देखा करते थे। कुछ देर तक बातचीत के बाद उन्होंने रामु को बताया की उनके पास एक कहानी और फिल्म के लिए के प्रोड्यूसर भी है। उस फिल्म के लिए वो मनोज बाजपेयी को साइन करना चाहते है लेकिन उनसे मिलने का मौका उनको नहीं मिल पा रहा है क्यूंकि मनोज उन दिनों रामु के लिए फिल्में कर रहे थे तब बासु चटर्जी ने यही सोचा की क्या मालूम मनोज से उनको मिलाने में रामु उनकी मदद कर दे। इसके तुरंत बाद रामु दूसरे कमरे में गए और मनोज बाजपेयी को फ़ोन किया लेकिन सत्या स्टार का फ़ोन बंद मिला। रामु की कोशिश जारी रही और इसके बाद रामु ने मनोज बाजपेयी के सेक्रेटरी को फ़ोन किया और जब बातचीत हुई तब रामु ने सेक्रेटरी से पूछा की क्या उनको पता है की बासु चटर्जी उनसे मिलना चाहते है। बदले में सेक्रेटरी ने यही जवाब दिया की हाँ और हम यही सोच रहे है की कैसे उनसे छुटकारा पाया जाए।  

बातचीत पुरी होने के बाद रामु दूसरे कमरे में इंतज़ार कर रहे बासु दा के पास गए और उनको यही बताया की मनोज शहर में नहीं है और वो उनसे शहर आने के बाद उनसे बात करके आगे की जानकारी देंगे। इसके कुछ दिनों के बाद बासु चटर्जी ने रामु को फ़ोन करके बताया की मनोज शहर में हैं लेकिन उनको इस बात की शंका है की वो फिल्म में काम नहीं करना चाहते है। उसी बातचीत में बासु चटर्जी ने रामु से एक बार फिर गुज़ारिश की कि अगर वो मनोज के बदले आफताब से उनकी बातचीत करा दे तो काफी अच्छा रहेगा। फ़ोन पर बातचीत जब ख़त्म हुई तब रामु ने तुरंत आफ़ताब को फ़ोन लगाया और बताया की बासु चटर्जी उनको अपने फिल्म की कहानी का नरेशन देना चाहते है। बदले में आफ़ताब ने रामु से पूछा कौन बासु चटर्जी?

इसके बाद रामु ने बासु चटर्जी की फिल्मोग्राफी के बारें में आफ़ताब को विस्तार से बताया और अंत में यही कहा की वो काफी सीनियर फिल्ममेकर है और उनको उनसे एक बार जरूर मिलना चाहिए। फोन रखने के पहले आफ़ताब ने रामु को कहा की वो उसका नंबर उनको दे सकते है। 

कुछ दिनों के बाद बासु चटर्जी ने रामु को एक बार फिर धन्यवाद देने के लिए फ़ोन किया। जब रामु ने उनसे पूछा की क्या आफ़ताब उनसे मिलने के लिए आये थे तब बासु चटर्जी ने उनको ये बताया की उनके पास वक़्त की कमी थी इसलिए उन्होंने कहानी का नरेशन सुनने के लिए अपने सेक्रेटरी को उनके पास भेज दिया था। सेक्रेटरी के पास भी वक़्त की कमी थी और दस मिनट के नरेशन के बाद उनको बताया की उसको किसी और इवेंट पर जाना है और और वो उसके लिए लेट हो रहा था। बासु दा ने आगे बताया की कहानी का उनका नरेशन पूरा नहीं हो पाया लेकिन रामु ने उनके लिए जो कुछ भी किया उसके लिए वो हमेशा आभारी रहेंगे।