
उत्तरी सिक्किम में हिमालय के पार जाकर तिब्बत के पठार-क्षेत्र में पहली बार भारतीय सेना ने शक्ति-प्रदर्शन किया। तिब्बत के पठार का ये इलाका भारतीय सीमा के अंतर्गत है, लेकिन चीन के साथ इस इलाके में तनातनी बनी रहती है। करीब 19 हजार फीट की ऊंचाई पर इस इलाके में वर्ष 2020 में भारत और चीन के सैनिकों के बीच बड़ी झड़प हुई थी।
उत्तरी सिक्किम में भारतीय सेना की ब्रिगेड को ‘प्लेटू ब्रिगेड’ के नाम से जाना जाता है। पहली बार भारतीय सेना ने हिमालय के पार जाकर तिब्बत से सटे इलाकों में बड़ी एक्सरसाइज की है। पूर्वी हिमालय में स्थित यह इलाका देश के उच्चतम (19 हजार फीट) और सबसे ठंडे युद्धक्षेत्रों में से एक है।
भारतीय सेना के मुताबिक, शक्ति-प्रदर्शन के दौरान टैंक, तोप, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) और ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया। रॉकेट फायरिंग के जरिए भी सेना ने अपनी तैयारियों को परखा। पहली बार नदी-नालों और बर्फ से जमी झील को पार करने के लिए स्पेशल व्हीकल्स का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान हाल ही में टाटा कंपनी से ली गई इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (ICV) का भी इस्तेमाल किया गया।
उत्तरी सिक्किम के इस इलाके से ही तीस्ता नदी निकलती है और सिख-बौद्ध धर्मों की पवित्र गुरुडोंगमार झील भी इसी इलाके में है। यह दुनिया में सबसे ऊंचाई पर किसी भी सेना का बटालियन हेडक्वार्टर है, जिसे ‘बंकर’ के नाम से जाना जाता है।
माइनस (-) 40 डिग्री तक तापमान गिरने और पठार-क्षेत्र होने के कारण यहां ऑक्सीजन की बेहद कमी रहती है। ऐसे में शारीरिक तौर से मजबूत सैनिकों को यहां तैनात किया जाता है। आधुनिक उपकरणों और उत्कृष्ट प्रौद्योगिकी से लैस, जिनमें से अधिकांश आत्मनिर्भर हैं, भारतीय सेना के जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की दृढ़ता से रखवाली करते हैं।
पिछले साल भले ही भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी LAC पर डिसएंगेजमेंट करार हो गया है। लेकिन भारतीय सेना किसी भी तरह की कोई चूक का सामना नहीं करना चाहती। यही वजह है कि LAC के सिक्किम और अरुणाचल सेक्टर में सेना अपनी तैयारियों को चुस्त-दुरुस्त रख रही है।
ये इसलिए भी बेहद अहम है, क्योंकि कुछ हफ्ते पहले ही सिक्किम से सटे विवादित डोकलाम इलाके में चीन और भूटान की सेनाओं के बीच पेट्रोलिंग को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। डोकलाम वही इलाका है जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 73 दिन लंबा फेस-ऑफ हुआ था।
डोकलाम में भारतीय सेना की मजबूत तैनाती के चलते चीनी सेना अब भूटान से टकराव की स्थिति में है। कभी विवादित इलाके के पास मिलिट्री-विलेज (सैन्य गांव) बसाकर तो कभी पेट्रोलिंग के नाम पर चीन अपना दबदबा बनाने की फिराक में है। क्योंकि भारत और भूटान के मैत्रीपूर्ण संबंध दुनिया से छिपे नहीं रहे हैं।