नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि रोजगार के लिए विदेश जाने वाले भारतीय नागरिकों को फर्जी एजेंटों की धोखाधड़ी से बचाने के लिए सरकार जल्दी ही एक नया विधेयक लाएगी।
राज्यसभा में पूरक सवालों के जवाब में जयशंकर ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय, मौजूदा उत्प्रवासन अधिनियम, 1983 के दायरे को बढ़ाने के लिए एक नया कानून ‘‘उत्प्रवासन विधेयक 2022’’ लाने की प्रक्रिया में है।
उन्होंने कहा कि यह कानून इच्छुक युवाओं के सुरक्षित और वैध प्रवास को बढ़ावा देने और उन्हें अवैध भर्ती एजेंटों की धोखाधड़ी से बचाने में मदद करेगा।
जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय ने नए उत्प्रवासन विधेयक का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि पहले भर्ती एजेंट व एजेंसियां मुख्य रूप से बड़े शहरों में केंद्रित थीं, जो युवाओं के अवैध ‘चैनलों’ का शिकार होने का मुख्य कारण था।
उन्होंने कहा कि इसे स्थानीय बनाए जाने पर बल दिया गया है और ग्रामीण भारत में रहने वाले इच्छुक अर्ध-साक्षर युवाओं को सुविधा प्रदान करने के लिए एक नयी योजना शुरू की गई है ताकि छोटे शहरों, कस्बों और दूरस्थ गांवों से भर्ती एजेंटों (आरए) के पंजीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके।
विदेश मंत्री ने कहा कि यह योजना नए उद्यमियों के साथ-साथ यात्रा परामर्शदायिता, यात्रा और पर्यटन जैसे संबंधित कार्यकलापों में पहले से लगे छोटे निकायों को विदेशी रोजगार के क्षेत्र में व्यापार अवसर प्रदान करेगी।
उन्होंने कहा कि दिसंबर 2017 में इसकी शुरूआत के बाद से नयी पहल के तहत कुल 557 नए भर्ती एजेंट पंजीकृत एवं लाभान्वित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और जापान ने पिछले साल ‘‘विशिष्ट कुशल कर्मचारियों (एसएसडब्ल्यू)’’ से संबंधित प्रणाली के उपयुक्त परिचालन के लिए एक सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें भारत के कुशल कर्मचारियों को जापान के औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्र के 14 चुनिंदा क्षेत्रों में कार्य करने का अवसर मिलेगा।
जयशंकर ने कहा कि फ्रांस और ब्रिटेन के साथ भी प्रवासन एवं आवाजाही समझौते हुए हैं, जो प्रवासन एवं आवाजाही संबंधी मुद्दों पर सहयोग के लिए व्यापक अवसंरचना प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय कामगारों की भर्ती के लिए पुर्तगाल के साथ सितंबर 2021 में एक करार पर हस्ताक्षर किए गए। इसके साथ ही, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क आदि देशों के साथ प्रवासन एवं आवाजाही करारों पर हस्ताक्षर के लिए विचार-विमर्श हेतु आशय पत्र पेश कर दिए गए हैं।