संसद की एक समिति की केंद्र से अपील, कहा- हिमाचल, उत्तराखंड, ओडिशा, पूर्वोत्तर में ग्रामीण पर्यटन के अनछुए पहलु पर ध्यान दे सरकार


समिति के अनुसार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, केरल, पूर्वोत्तर आदि राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन के इस अनछुए पहलु पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


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नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने ‘ग्रामीण पर्यटन’ के उभरते क्षेत्र पर बहुत कम ध्यान दिये जाने की बात रेखांकित करते हुए कहा है कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, केरल, पूर्वोत्तर आदि राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन के इस अनछुए पहलु पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इसमें ग्रामीण समुदायों को स्थायी आजीविका प्रदान करने की क्षमता है।

मानसून सत्र के दौरान ‘देश में पर्यटन स्थलों की क्षमता संपर्क एवं पहुंच’ विषय पर संसद में पेश परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पर्यटन उद्योग के कुछ उभरते हुए आयामों में से एक ग्रामीण पर्यटन है लेकिन इस पर बहुत कम जोर दिया जाता है। इसमें कहा गया है ‘‘ अब तक स्वदेश दर्शन योजना के ग्रामीण सर्किट के तहत केवल दो परियोजनाओं को मंजूरी दी गई और केवल एक के लिये धनराशि जारी की गई ।’’

समिति ने कहा कि भारत में कला, शिल्प और संस्कृति की परंपरा समृद्ध होने के कारण ग्रामीण पर्यटन का समझदारी से स्थायी रूप से लाभ उठाया जाए क्योंकि इसमें ग्रामीण समुदायों को स्थायी आजीविका प्रदान करने की क्षमता है। रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा, ‘‘ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा, केरल, पूर्वोत्तर आदि राज्यों के ग्रामीण क्षेत्र पर्यटन के इस पहलू से अभी भी अनछुए हैं और इस पर ध्यान देने की जरूरत है।’’

समिति ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय को ग्रामीण जनजीवन, कला, संस्कृति और विरासत को जोड़ते हुए योजनाओं एवं कार्यक्रमों का विकास करना चाहिए ।

संसदीय समिति ने सरकार से कहा है कि देश में पर्यटन परिपथों मे अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि यात्रा में सुविधा के साथ बुनियादी ढांचे का विकास हो एवं सम्पर्क को बढ़ावा दिया जा सके । समिति ने कहा कि ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने से गरीब एवं हाशिये पर रह रहे लोगों को लाभ होगा।

संसदीय समिति ने देश में ‘साहसिक पर्यटन’ की संभावना को रेखांकित करते हुए कहा है कि जैव विविधता, प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता और हिमालयी क्षेत्र होने के बावजूद भारत में साहसिक पर्यटन प्रारंभिक चरण में है। समिति ने कहा, ‘‘मंत्रालय को साहसिक पर्यटन क्षमता का दोहन करने के लिये पर्यावरण अनुकूल एवं सुरक्षित नीति दस्तावेज तैयार करना चाहिए ।’’

संसदीय समिति ने सरकार से लद्दाख में चादर ट्रैक, रिषीकेश में व्हाइट रिवर राफ्टिंग, अंडमान द्वीप, मालवन द्वीप एवं गोवा में स्कूबा डाइविंग, उत्तराखंड में रूपकुंड ट्रैक, मनाली में लेह बाइक/जीप ट्रिप, मेघालय में केविंग, गुलमर्ग और मनाली में स्कीइंग, रिषीकेश में बंजी जंपिंग, उत्तराखंड की टोंस घाटी में रिवर राफ्टिंग, जयपुर एवं सोलंग घाटी में हाट एयर बैलूनिंग, जैसलमेर में दून बाशिंग, हिमाचल प्रदेश में पारा ग्लाइडिंग, गोवा में दूधसागर ट्रैक, सतपुड़ा में रॉक क्लाइंबिंग, गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में वाइल्ड लाइफ सफारी, कुफरी में स्कीइंग, मुन्नार में साइकिल चालन जैसी साहसिक पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने पर ध्यान देने को कहा है।