राज्यसभा की कार्यवाही में औसत दैनिक उपस्थिति 78 प्रतिशत रही : अध्ययन

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नई दिल्ली, चार अक्टूबर (भाषा) राज्यसभा के पिछले सात सत्रों के दौरान कार्यवाही में सदस्यों की औसत दैनिक उपस्थिति 78 प्रतिशत रही। यह जानकारी राज्यसभा सचिवालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में सामने आयी है।

सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा सदस्यों की उपस्थिति के विश्लेषण से पता चलता है कि एक सत्र में करीब 30 प्रतिशत सदस्यों की पूर्ण उपस्थिति थी, जबकि दो प्रतिशत से भी कम सदस्यों की उपस्थिति शून्य थी।

सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों की उपस्थिति की प्रवृत्ति के बारे में जानना चाहा था। इसके बाद, सदन की कार्यवाही में सदस्यों की भागीदारी के संबंध में पहला ऐसा विश्लेषण किया गया।

राज्यसभा सचिवालय ने पिछले सात सत्रों (248 वें से 254 वें सत्र तक) में सदस्यों की उपस्थिति के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इस दौरान कुल 138 बैठकें हुईं। अध्ययन के अनुसार, मंत्रियों, उपसभापति, सदन के नेता और विपक्ष के नेता को उपस्थिति रजिस्टर पर दस्तखत करने की जरूरत नहीं होने के कारण प्रतिदिन करीब 225 सदस्यों ने संसद सदस्य (वेतन और भत्ता) अधिनियम के तहत अपनी उपस्थिति दर्ज की।

अध्ययन के अनुसार, 254 वें सत्र (पिछला मानसून सत्र) के दौरान उच्चतम दैनिक उपस्थिति (82.57 प्रतिशत) दर्ज की गई थी, जबकि उससे पिछले सत्र में 72.88 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की गई थी। राज्यसभा सूत्रों ने कहा कि इस अवधि के दौरान, 29.14 प्रतिशत सदस्यों की पूर्ण उपस्थिति रही जबकि सिर्फ 1.90 प्रतिशत ने विभिन्न वजहों से कार्यवाही में भाग नहीं लिया तथा सदन ने उन्हें अनुपस्थित रहने के लिए अनुमति दी थी।

विश्लेषण से खुलासा हुआ कि पिछले तीन सत्रों के दौरान सदस्यों की उपस्थिति कोविड-19 महामारी से प्रभावित नहीं हुयी। 252 वां सत्र पहला ऐसा सत्र था, जिसका आयोजन कोविड संबंधी दिशानिर्देशों के बीच हुआ। उसमें 99 सदस्यों ने सभी 10 बैठकों के दौरान कार्यवाही में भाग लिया, जबकि 254वें सत्र के दौरान 98 सदस्यों ने 17 बैठकें में भाग लिया।

सूत्रों ने बताया कि 75 वर्षीय एस आर बालासुब्रमण्यम ने इन सात सत्रों की सभी 138 बैठकों में भाग लिया। वहीं पांच सदस्यों – अशोक वाजपेयी, डीपी वत्स, नीरज शेखर, विकास महात्मे और रामकुमार वर्मा ने छह सत्रों की सभी बैठकों में भाग लिया। सात सदस्य – राकेश सिन्हा, सुधांशु त्रिवेदी, डॉ कैलाश सोनी, नरेश गुजराल, विशंबर प्रसाद निषाद, कुमार केतकर और अमी याग्निक ने पांच सत्रों की सभी बैठकों में भाग लिया।